प्लम के पेड़ों पर असमय फ्लॉवरिंग से बागवान और विशेषज्ञ हैरान

हिमाचल प्रदेश के जिला मंडी में इस बार दो महीने पहले ही प्लम के पेड़ों पर फूल आना शुरू हो गए हैं। ग्लोबल वार्मिंग और तापमान बढ़ना इसकी वजह बताई जा रही है। मंडी के सिराज घाटी की लेहथाच पंचायत के गुनास गांव में प्लम के बगीचों में फ्लाॅवरिंग शुरू हो गई है।

प्लम के पेड़ों में हुई असमय फ्लावरिंग

आम तौर पर मार्च के अंत में प्लम, खुमानी और अन्य गुठलीदार फलों के पेड़ों में फ्लाॅवरिंग होती है। इस साल सर्दियों में बारिश और बर्फबारी न होना पेड़ों में प्लाॅवरिंग का कारण माना जा रहा है।

लेहथाच पंचायत के गुणास गांव के बागवान कुलदीप कुमार और अन्य बागवानों के प्लम के बगीचों में फूल आ गए हैं। दो माह पहले ही गुठलीदार फलों के बगीचों में फ्लाॅवरिंग होने से बागवानी से संबंधित वैज्ञानिक भी हैरत में हैं।

सर्दी का मौसम मार्च तक चलता है। बागवानों को डर सताने लगा है कि कहीं फ्लाॅवरिंग के ऐन मौके पर बारिश और बर्फबारी हुई है तो उनकी फलों की सेटिंग पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है।

बागवान कुलदीप कुमार, मनोज कुमार, मेशु, घनश्याम, दुष्यंत, नेत्र सिंह ठाकुर, सुमन्नी, हेमराज ठाकुर, ममता ठाकुर, तेज सिंह और नारायण सिंह ने बताया कि समय से पहले गुठलीदार फलों के बगीचों में फूल आना ग्लोबल वार्मिंग का नतीजा है। बागवानी विशेषज्ञ डॉ. एसपी भारद्वाज और डॉ. चिंत राम ठाकुर ने बताया कि तापमान बढ़ने से समय पूर्व प्लम के बगीचों में फ्लावरिंग आ गई है।

तापमान बढ़ने से पहले हो रही फ्लाॅवरिंग
उद्यान विभाग के विषयवाद विशेषज्ञ रामनाथ ठाकुर ने सिराज घाटी की लेहथाच पंचायत में मेरीपोजा प्लम के पौधों में फ्लाॅवरिंग आने की पुष्टि की है। उन्होंने बताया कि तापमान बढ़ने से ऐसा हो रहा है।

अन्य गुठलीदार फसलों को भी खतरा
असमय हो रही फ्लाॅवरिंग से जहां प्लम की फसल को नुकसान होगा, वहीं अगर इस तरह की फ्लाॅवरिंग से आड़ू, खुमानी, बादाम आदि को भी खतरा हो सकता है। ऐसे में बागवान चिंतित हो गए हैं।

बागवानी विशेषज्ञ डॉ. एसपी भारद्वाज का कहना है कि सर्दी के मौसम में अगर समय से पहले गुठलीदार फलों के पौधों में फूल खिलते हैं तो उसमें मधुमक्खियां नहीं बैठेंगी।

उन्होंने बताया कि इस तरह से परागण नहीं होगा और फलों की ठीक प्रकार से सेटिंग नहीं हो पाएगी। भारद्वाज का कहना है कि मौसम सर्द रहा और फूल खिलते रहें तो ठंड से फूलों को जान नहीं मिलेगी और फलों पर प्रतिकूल असर पड़ेगा।

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