शिमला : प्रदेश के शिक्षण संस्थानों में करीब तीन हजार पदों पर रिक्तियां चल रही हैं। प्रदेश में क्योंकि सत्ता परिवर्तन हो चुका है, तो ऐेसे में नई सरकार में अब इन खाली पदों को भरने की उम्मीद जगी है। इसमें टीजीटी, जेबीटी, प्रिंसीपल सहित कालेज कैडर की भर्तियां शामिल हैं, जिन्हें प्राथमिकता से भरे जाने की जरूरत है।
भाजपा सरकार में भी शिक्षा विभाग ने इन भर्तियों को भरने का प्रस्ताव भेजा था, लेकिन इन्हें मंजूरी नहीं मिल पाई। अब नई सरकार से उम्मीद है कि कैबिनेट में इन भर्तियों को मंजूरी मिलेगी। इसमें कमीशन और बैचवाइज आधार पर 1587 टीजीटी पदों को भरने के लिए प्रदेश सरकार से मंजूरी नहीं मिली है।
प्रारंभिक शिक्षा विभाग की तरफ से इस बारे में प्रदेश सरकार को प्रस्ताव भेजा गया है, जिसमें टीजीटी की भर्तियां करने के लिए अप्रूवल मांगी गई है। कर्मचारी चयन आयोग के माध्यम से ये भर्तियां होनी हैं।
इसमें 87 पदों को भरने के लिए पहले मंजूरी मिल चुकी है, लेकिन विभाग तब तक इन पदों को भी नहीं भर सकता, जब तक बाकि पदों को भरने के लिए मंजूरी नहीं मिल पाती। ऐसे में टीजीटी की भर्तियों के लिए सरकार से अप्रूवल का इंतजार है। ये भर्तियां अनुबंध के आधार पर होनी हैं।
इनमें टीजीटी आर्ट्स के 744 पद भरे जाने हैं, जबकि टीजीटी नॉन मेडिकल 557 पद, टीजीटी मेडिकल के 286 पदों सहित 1587 पदों पर भर्तियां होनी हैं। वहीं गत विधानसभा सत्र में भी पूर्व शिक्षा मंत्री ने जानकारी दी थी कि स्कूलों में टीजीटी के 781 पद अभी स्कूलों में टीजीटी के रिक्त हैं।
31 दिसंबर, 2022 तक 116 टीजीटी सेवानिवृत्त हो जाएंगे। ऐसे में रिक्त होने वाले कुल पदों की संख्या 1897 निर्धारित हुई है। सरकार से मंजूरी मिलने के बाद इन पदों को भरने के लिए कर्मचारी चयन आयोग हमीरपुर के माध्यम से विज्ञापन जारी होगा। इसमें 50 फीसदी पद बैचवाइज और शेष 50 फीसदी पद सीधी भर्ती के माध्यम से भरे जाएंगे।
75 फीसदी कालेजों में नहीं हैं स्थायी प्रिंसीपल
हिमाचल प्रदेश में 75 प्रतिशत से अधिक सरकारी कालेज में नियमित प्रधानाचार्य नहीं हैं। राज्य में 156 सरकारी कॉलेज में से 119 में नियमित प्रधानाचार्य के पद रिक्त हैं, जबकि 75 कालेज के पास अपना भवन ही नहीं है।
25 पदों पर नियुक्तियां हिमाचल प्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा की जानी है। स्कूलों में 1100 प्रिंसिपल की डीपीसी हो गई है। वहीं जेबीटी के भी 3301 पद खाली हैं।