शिमला : मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के साथ आयोजित बैठक के बाद चिकित्सकों ने पेन डाउन हड़ताल समाप्त करने की घोषणा की है। बैठक के दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने चिकित्सा अधिकारियों के एनपीए (नॉन प्रैक्टिसिंग अलाउंस) को समाप्त नहीं किया है, बल्कि फिलहाल इस पर रोक लगाई गई है।
उन्होंने आहरण एवं वितरण अधिकारी (डीडीओ) के अधिकार चिकित्सा महाविद्यालयों के प्रधानाचार्यों को प्रदान करने, हिमाचल प्रदेश मेडिकल कॉरपोरेशन में चिकित्सकों को प्रतिनिधित्व देने और चिकित्सकों की पदोन्नति के लिए विभागीय पदोन्नति कमेटी (डीपीसी) की बैठक समयबद्ध करने की चिकित्सकों की मांगों को भी स्वीकार किया।
उन्होंने यह आश्वासन भी दिया कि अनुबन्ध आधार पर नियुक्त चिकित्सकों को एनपीए लाभ से वंचित नहीं किया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि चिकित्सकों की पेन डाउन हड़ताल तर्कसंगत नहीं थी, क्योंकि राज्य सरकार ने विभिन्न स्वास्थ्य संस्थानों में कार्यरत चिकित्सकों के एनपीए को बन्द नहीं किया है और उन्हें पेन डाउन हड़ताल करने से पहले सरकार के साथ इन मुद्दों पर चर्चा करने के लिए आगे आना चाहिए था।
उन्होंने कहा कि वर्तमान राज्य सरकार ने पदभार ग्रहण करने के केवल पांच माह में चिकित्सकों के कल्याण के दृष्टिगत अनेक कदम उठाए हैं।
राज्य सरकार ने कार्यस्थल में बेहतर सुविधाएं प्रदान करने के लिए स्वास्थ्य क्षेत्र में कई सुधार शुरू किए हैं। राज्य सरकार चिकित्सकों की संख्या बढ़ाने के साथ-साथ पैरा मेडिकल स्टाफ के विभिन्न पद सृजित कर भरने की दिशा में भी दृढ़ता से कार्य कर रही है।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने आपातकालीन विभाग को मजबूत करने के उद्देश्य से राज्य के सभी चिकित्सा महाविद्यालयों में आपातकालीन चिकित्सा विभाग (डिपार्टमेंट ऑफ एमरजेंसी मेडिसिन्ज़) बनाने का निर्णय लिया है।
उन्होंने कहा कि चिकित्सकों को आधुनिक चिकित्सा शोधों और तकनीकों से परिचित होने के लिए विश्व के प्रतिष्ठित स्वास्थ्य संस्थानों में एक्सपोजर विजिट पर भेजा जा रहा है।
उन्होंने कहा कि इससे राज्य के लोगों को सरकारी चिकित्सा संस्थानों में विश्व स्तरीय स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने में काफी मदद मिलेगी।
ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि प्रदेश में स्वास्थ्य पर्यटन को बढ़ावा देने की योजना पर भी कार्य चल रहा है और इस क्षेत्र में पहले से कार्यरत बड़ी नामी दिग्गज कंपनियों से बातचीत की जा रही है।
उन्होंने कहा कि इससे चिकित्सकों और अन्य स्वास्थ्य कर्मियों को रोजगार के अवसर भी उपलब्ध होंगे। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने कर्मचारियों को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने के लिए पुरानी पेंशन योजना बहाल की है।
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने ओपीएस बहाली के निर्णय के कारण राज्य की ऋण सीमा में 5500 करोड़ रुपए की कटौती की है। इसके बावजूद राज्य सरकार कर्मचारियों के कल्याण के लिए दृढ़ता से कार्य कर रही है।