प्रदेश में सीमित दायरे में हो भांग की खेती, सीएम ने सदन में प्रस्तुत की रिपोर्ट

शिमला : भांग की खेती को वैध करने की सिफारिश पर मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने रिपोर्ट सदन में प्रस्तुत की। इस रिपोर्ट में समिति ने धारा 10 के साथ राज्य सरकार को प्रदत्त शक्तियों के आधार पर किसी भी भांग के पौधे की खेती, उत्पादन, निर्माण, कब्ज़ा, परिवहन, अंतर- राज्य आयात, अंतर- राज्य निर्यात, बिक्री, खरीद खपत या भांग (चरस को छोडक़र) के उपयोग को विनियमित करने की सिफारिश की है।

इसके अलावा नियंत्रित वातावरण में औषधीय और वैज्ञानिक उद्देश्यों के लिए एनडीपीएस अधिनियम 1985 के तहत उत्पादन की बात कही है।

एनडीपीएस अधिनियम 1985 की धारा 14 के तहत प्रदान किए गए अनुसार केवल फाइबर या बीज प्राप्त करने या बागबानी उद्देश्यों के लिए औद्योगिक उद्देश्यों के लिए किसी भी भांग के पौधे की खेती की अनुमति देने के लिए कुछ शर्तों के अधीन एक सामान्य या विशेष आदेश पारित किया जाना चाहिए।

इसके अलावा खेती खुले में होनी चाहिए। रिपोर्ट में कहा गया है कि खेती से लेकर तैयार उत्पादों के निर्माण तक की प्रक्रियाओं के लिए मानक संचालन प्रक्रियाएं विकसित की जाएंगी।

एक राज्य स्तरीय प्राधिकरण का गठन किया जाएगा जो भांग की खेती को विनियमित करने में शामिल प्रक्रियाओं के संबंध में निर्णय लेने के लिए एकल खिडक़ी प्रणाली प्रदान करेगा।

इस कमेटी ने प्रदेश में भांग की खेती पर गहनता से अध्ययन किया। मई माह में उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर का दौरा किया। उत्तराखंड में भांग की खेती को मान्यता दी गई है। गैर मादक उद्देश्य के लिए भांग की खेती की जा सकती है। इससे राज्य के राजस्व संसाधन में वृद्धि होगी।

एक्साइज डिपार्टमेंट को सौंपी जा सकती है जिम्मेदारी
औषधीय और वैज्ञानिक उद्देश्य के लिए आबकारी अधिनियम में संशोधन किया जा सकता है। राज्य कर और आबकारी विभाग को भांग की खेती की निगरानी की जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है।

कमेटी ने सभी जिलों में दौरा किया और पंचायत प्रतिनिधियों से चर्चा की। इस दौरान सभी पदाधिकारियों ने भांग की खेती की मंजूरी पर अपनी सहमति दी है। क्लॉज इनवायरनमेंट में खेती की जा सकती है। कमेटी ने सिफारिश की है कि भांग की खेती को सीमित दायरे में मंजूरी दी जाए।

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