जनजातीय क्षेत्रों के विकास के लिए हिमाचल प्रदेश को केंद्र से बड़ी सौगात मिलने जा रही है। केंद्र सरकार के विभिन्न 18 मंत्रालयों की 25 योजनाओं में हिमाचल के जनजातीय क्षेत्रों को विकास के लिए पैसा मिलेगा।
यहां पर मूलभूत सुविधाओं को जुटाने के लिए एक मास्टर प्लान पर काम किया जाएगा। देश के अन्य राज्यों के साथ हिमाचल प्रदेश को भी प्रधानमंत्री जनजातीय उन्नत ग्राम अभियान योजना में शामिल किया गया है, जिसमें प्रदेश के 270 गांव शामिल किए गए हैं।
प्रदेश में उन गांवों को चुना गया है, जहां पर जनजातीय लोगों की 500 से ज्यादा आबादी है। इसमें चंबा, किन्नौर और कांगड़ा जिला के गांव शामिल हैं।
सूत्रों के अनुसार 27 सितंबर को दिल्ली में इस संबंध में एक बैठक होने जा रही है, जोकि जनजातीय विकास मंत्रालय ने बुलाई है और इसमें हिमाचल के अधिकारी भी शामिल होंगे। उनके साथ इस पूरे प्रोजेक्ट पर चर्चा होगी और हिमाचल के लिए मास्टर प्लान मांगा जाएगा।
सूत्रों के अनुसार हिमाचल के जो 270 गांव चुने गए हैं, उनमें चंबा जिला के 156, किन्नौर के 69 और कांगड़ा से 10 गांवों को चुना गया है। इनके अलावा शिमला व मंडी को छोडक़र शेष बचे हुए जिलों से भी एक-एक गांव को इस योजना के तहत लाया जा रहा है।
बताया जाता है कि प्रधानमंत्री जनजातीय उन्नत ग्राम अभियान योजना में पूरे देश में जनजातीय विकास के लिए गांवों का चयन किया गया है और इनके लिए केंद्र सरकार 6700 करोड़ रुपए का बजट खर्च करेगी।
अब इसमें से हिमाचल को कितना पैसा मिलता है, यह देखना होगा। यह राशि एकमुश्त नहीं मिलेगी, बल्कि अलग-अलग मंत्रालयों के तहत चलाई जा रही योजनाओं के माध्यम से यह पैसा आएगा।
इसमें 18 मंत्रालय शामिल किए गए हैं, जिनकी योजनाएं राष्ट्र स्तर पर चल रही हैं। चाहे बिजली की योजना हो या फिर सडक़ों या फिर पानी की, सभी मंत्रालयों की योजनाओं का लाभ इन गांवों को मिलेगा।
बता दें कि इससे पहले हिमाचल के कई गांवों को वाइब्रेंट विलेज योजना में शामिल किया गया है और इस योजना में भी खासकर चंबा जिला के कुछ गांवों को लाभ मिल रहा है। अभी इस योजना में प्रदेश को करोड़ों रुपए की राशि लेनी है, जोकि केंद्र के पास लंबित पड़ी है।