आखिर कौन बनाएगा सबसे बड़ी जीत का रिकॉर्ड !!

मतदान का दौर खत्म हो चुका है और इंतजार आठ दिसंबर का हो रहा है। जब मतगणना होगी और ईवीएम से नेताओं के भविष्य का फैसला होगा। लेकिन बात हार या जीत के साथ ही इस पहलू पर भी हो रही है कि इस बार जीत का सबसे बड़ा रिकॉर्ड किसके खाते में जाएगा और यह कितने वोट की जीत होगी। दरअसल, बीते 32 सालों में सात विधानसभा चुनाव प्रदेश में हुए हैं।

हिमाचल विधानसभा चुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री स्व. वीरभद्र सिंह इकलौते ऐसे नेता हैं, जिनके नाम पर पांच बार सर्वाधिक वोट हासिल करने का रिकॉर्ड दर्ज है। हिमाचल के छह बार मुख्यमंत्री रहे वीरभद्र सिंह के वोट प्रतिशत में भले ही वक्त के साथ आंशिक कमी आई हो, लेकिन उनके बराबर बड़ी जीत कोई हासिल नहीं कर पाया।

बीते 32 सालों में सात विधानसभा चुनावों का रिकॉर्ड खंगालने के बाद यह तथ्य सामने आए हैं। इन सात चुनावों में वीरभद्र सिंह पांच बार टॉपर रहे हैं, जबकि पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल एक बार ही टॉपर नेताओं की इस सूची में दर्ज हो पाए हैं।

इस बार विधानसभा के चुनाव इन दोनों नेताओं के बगैर लड़े गए हैं। हालांकि दोनों नेता चुनाव के दौरान चर्चा में जरूर रहे। बीते विधानसभा चुनाव का रुख करें तो 1990 में प्रदेश की 68 सीटों पर हुए चुनाव में सबकी नजरें रोहड़ू विधानसभा क्षेत्र पर ही थीं। यहां वीरभद्र सिंह चुनाव लड़ रहे थे और उन्होंने जीत का बड़ा रिकॉर्ड भी अपने नाम दर्ज कर लिया।

यह उस जमाने में जीत का सबसे बड़ा अंतर था। प्रदेश में इस रिकॉर्ड के साथ वीरभद्र सिंह टॉप पर रहे, जबकि दूसरा स्थान इस बार पहली मर्तबा चुनाव लड़ रही हिमाचल विकास कांग्रेस के सुप्रीमो पंडित सुखराम के खाते में चला गया। पंडित सुखराम मंडी सदर की सीट से 18 हजार 989 मतों के अंतर से चुनाव जीतने में कामयाब रहे।

तीसरे स्थान पर जुब्बल से रामलाल ठाकुर का नाम दर्ज हुआ, जिन्होंने 18 हजार 34 मतों के अंतर से अपनी सीट जीत ली थी। नेताओं की लोकप्रियता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि चुनाव दर चुनाव वोट बढ़ रहे थे और लोगों ने उन्हें शोहरत के शिखर तक पहुंचा दिया था।

2003 में वीरभद्र चैंपियन

2003 के विधानसभा चुनाव में काफी कुछ बदल चुका था। फिर भी वीरभद्र सिंह का रुतबा बरकरार रहा। वह रोहड़ू विधानसभा सीट पर चौथी मर्तबा चुनाव लड़ रहे थे और इस चुनाव में भी उन्होंने 17 हजार 289 मतों के रिकॉर्ड अंतर के साथ जीत दर्ज की।

वे प्रदेश में चुनाव में भी रिकॉर्ड जीत के मामले में नंबर एक पर ही रहे। इस चुनाव में रामपुर से कांग्रेस के सिंघी राम दूसरे नंबर पर रहे। उन्होंने 17247 मतों से चुनाव जीता, जबकि बमसन से प्रेम कुमार धूमल 15 हजार 698 मतों की जीत के साथ तीसरे नंबर की जीत अपने नाम दर्ज कर पाए।

धूमल के नाम रिकॉर्ड

2007 के विधानसभा चुनाव में पूर्व सीएम प्रेम कुमार धूमल ने बमसन में सबसे बड़ी जीत अपने नाम दर्ज कर ली। वह 1998 में वीरभद्र सिंह की जीत 26 हजार 148 के करीब नजर आए। उन्होंने 26 हजार सात मतों से यह जीत दर्ज की थी।

इस चुनाव में चिंतपूर्णी से राकेश कालिया 16 हजार 135 मतों के साथ दूसरे, जबकि नादौनता से बलदेव ठाकुर 15 हजार 564 मतों के साथ तीसरे नंबर पर आए थे। इस चुनाव में वीरभद्र सिंह की जीत का अंतर 14 हजार 137 वोट का रह गया था और वह चौथे नंबर पर खिसक गए थे।

पुनर्सीमांकन का असर

पुनर्सीमांकन के बाद हुए 2012 के विधानसभा चुनाव में कई सीटें बदल चुकी थी। वीरभद्र सिंह की परंपरागत सीट रोहड़ू पर मोहन लाल ब्राक्टा को चुनाव लडऩे का मौका मिला। मोहन लाल ब्राक्टा ने पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह से भी बड़ी जीत दर्ज कर दी।

उन्होंने 28 हजार 415 मतों से जीत दर्ज की थी, जबकि शिमला ग्रामीण से चुनाव लड़ रहे वीरभद्र सिंह दूसरे नंबर पर चले गए थे। उनकी जीत का अंतर 20 हजार वोट का रहा। देहरा से रविंद्र सिंह रवि इस चुनाव में 15 हजार 293 मतों से जीत दर्ज कर तीसरे स्थान पर रहे थे।

20 हजार के पार कोई नहीं

2017 के विधानसभा चुनाव में कोई भी नेता 20 हजार के जादुई आंकड़े के पार नहीं जा पाया। सबसे बड़ी जीत नाचन विधानसभा क्षेत्र में हुई यहां भाजपा की टिकट पर चुनाव लड़ रहे विनोद कुमार ने 15 हजार 896 मतों के साथ जीत दर्ज की थी और वह प्रदेश में टॉपर रहे थे।

बल्ह से इंद्र सिंह जीत के बड़े अंतर के मामले में दूसरे नंबर पर थे। उन्होंने 12 हजार 811 मतों से जीत दर्ज की। जबकि बैजनाथ से मुल्खराज ने 12 हजार 669 मतों से जीत दर्ज कर इस चुनाव में तीसरा स्थान हासिल किया। इस चुनाव की खास बात यह रही कि लीड के मामले में पहले तीनों स्थान पर भाजपा के ही नेता थे।

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