देव भूमि हिमाचल में भादों मास शुरू होते ही अधिकांश देवी -देवताओं के मंदिरों के कपाट बंद कर दिए जाते हैं। मान्यता के अनुसार सभी देवी देवता इस माह में स्वर्ग के भ्रमण पर चले जाते हैं। स्वर्ग भ्रमण पर निकले देवी -देवताओं के नाग पंचमी के दिन डायनों के साथ युद्ध होते हैं. युद्ध क्षेत्र भी तय होते हैं विभिन्न जगहों में देवताओं और डायनों के बीच कुल 7 युद्ध होते हैं.
घोघर धार में होता है युद्ध
लोक कथा के अनुसार मंडी के पधर जनपद के घोघर धार के मैदान में प्राचीन काल से देवताओं और डायनों के बीच एक सप्ताह तक चलने वाले भयंकर युद्ध के हार-जीत के परिणाम पुजारी (गुर) बताते हैं। यह परंपरा आज भी जारी है। श्रद्धालु अपने जीवन की मनोकामनाओं को फलित करवाने हेतु मन्नते मांगते हैं तथा पूरी होने पर परिवार सहित बैंड बाजे के मंदिर में आते हैं। सभी भक्त जन रात्रि को जागरण करते हैं।
माँ चतुर्भुजा की होती है युद्ध में अहम भूमिका
इन युद्धों में हिमाचल के मंडी जिला की देवी मां चतुर्भुजा की भी अहम भूमिका रहती है। माँ चतुर्भुजा में भी नागपंचमी के दिन मेले का आयोजन किया जाता है. भक्तों के लिए भंडारे का भी इंतजाम होता है. हर वर्ष यहाँ डायनों द्वारा लागत पर लगाये लोगों के नाम गुर या चेले द्वारा पुकारे जाते हैं. तथा लागत पर लगे हुए व्यक्ति नवरात्रों में यहाँ पूजा पाठ करने आते हैं.
क्या है लागत?
किवदंती के अनुसार डायनें जब देवताओं के साथ युद्ध करती हैं तो जब देवता डायनों पर भारी पड़ने लगते हैं तो मोहरों की तरह डायनें किसी भी व्यक्ति, जमीन के टुकड़े, पूरा गाँव या पशु को प्रयोग करती है तथा उसे लागत के नाम से जाना जाता है. मंडी जिले में ख़ासकर यह मान्यता है कि जब डायनें लागत में लगाने के लिए घर -घर घूमती हैं तो लोग उनकी छाया से बचने के लिए कई उपाय करते हैं.
माँ बगलामुखी में हुआ जाग का आयोजन
गणेश चतुर्थी की संध्या पर तुंगल क्षेत्र के प्रसिद्ध शक्तिपीठ माता बगलामुखी मंदिर सेहली में 62वीं जाग (होम) का आयोजन किया गया. अर्धरात्रि को माता के गूर अमरजीत शर्मा व उपस्थित दर्जनों छरनाटो में माँ की शक्ति ने प्रवेश किया. माँ ने अनेक प्रकार की देववाणी करके भक्तों का मार्गदर्शन किया. गुर ने देववाणी करते हुए बताया कि इस बार देवताओं पर डायनें भारी रही व आने वाला समय प्राणी मात्र के लिए अनेक प्रकार की आपदाओं से भरा रहेगा. वर्ष भर में जहाँ आग की घटनाएं,भूस्खलन, भूकम्प,राजनितिक द्वेष,अल्प मोतें व समाज विरोधी गतिविधियाँ अधिक होंगी वहीँ समाज का वतावरण भी बिगड़ेगा. उन्होंनें कहा कि माँ उनके क्षेत्र में किसी भी आपदा को प्रवेश नहीं होने देंगी.
कुल हुए 7 युद्ध
डंकन चौदस को देवताओं और डायनों के बीच कुल 7 युद्ध विभिन्न क्षेत्रों में हुए. इन युद्धों में कहीं देवता डायनों पर हावी रहे तो कहीं डायनें देवताओं पर भारी पड़ीं. इस बार 7 युद्धों में से 2 स्थानों पर देवता और 4 स्थानों में डायनें भारी रहीं. एक युद्ध बराबरी पर रहा. इस जाग में डायनों की छाया पड़ने के कारण बुखार व अन्य बीमारियों से ग्रस्त लोगों को इससे बाहर निकालने के उपाय भी बताये. गुर ने कहा कि माँ बगलामुखी कलयुग में साक्षात अपने भक्तों की रक्षा करती हैं. जाग में साईं भक्त मण्डली और व कश्मीर सिंह पार्टी ने माँ की महिमा का गुणगान किया.l
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