जोगिन्दर नगर: अपनी बेबाकी के लिए जाने जाने वाले केंद्रीय सडक़ परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने हिमाचल प्रदेश में फोरलेन निर्माण के लिए अपनाये जाने वाले तरीकों और तकनीक को सवालों के कटघरे में खड़ा कर दिया है।
दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में गडकरी ने कहा कि 3500 करोड़ रुपये से बना कुल्लू-मनाली फोरलेन बरसात में पूरी तरह उखड़ गया। गडकरी ने इसके लिए इंजीनियरों के लिए “कल्प्रिट” (Culprit, दोषी) शब्द इस्तेमाल करते हुए कहा कि विस्तृत परियोजना रिपोर्ट डीपीआर बनाने वाले अधिकारी इसके जिम्मेदार है। साथ ही नितिन गडकरी ने फोरलेन पर इंजीनियरों की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठाए हैं।
उन्होंने कहा कि बहुत सारे अधिकारी तो रिटायर होने के बाद अपनी कंपनी बना लेते हैं। “ये लोग बहुत घटिया काम करते हैं। कि कोई घर में बैठकर गूगल मैप पर ही डीपीआर बना लेते हैं। कोई डिटेल्ड इंवेस्टीगेटिन नहीं होता। डिटेल स्टडी नहीं होता। और हमारे सरकार में जो सिस्टम है वो इतनी एक्सपेर्टीज़ है, कि अंधे जैसे होते है, आँखे नहीं होती, DPR मिलने के बाद, वे केवल एक ही काम करते हैं, कि तुरंत टेंडर निकलने का काम करते हैं और वो टेंडर निकलने का उनको मालूम है, कि कैसे निकलना है, और मिनिस्टर तो बेचारे इतने पढ़े लिखे होते हैं, कि उनको तो कुछ पता होता नहीं, और टेक्निकल और फाइनेंशियल क्वालिफिकेशन ऐसे डालते है कि, जन्म होने से पहले कौन सी लड़की कैसी होगी, इसका पूरा प्रिस्क्रिप्शन तैयार होता है।
उन्होंने महाराष्ट्र के एक मंत्री का सन्दर्भ देते हुए तंज किया कि एक टेंडर कि क्वालिफिकेशन में तो बस इतना ही लिखना बाकी था, कि जो भी व्यक्ति काले कपडे पहन कर आएगा उसको ही टेंडर मिलेगा।
इन लोगों को जहाँ पर फोरलेन बनना है वहां की वास्तविक पारिस्थितिकी का कोई अंदाजा नहीं होता और ये लोग घर में बैठकर गूगल मैप को देखकर ही डीपीआर बना लेते हैं। वे कभी भी स्थानीय क्षेत्र में जाने कि जहमत नहीं उठाते। गौरतलब है कि डीपीआर का अर्थ Detailed Project Report है इसमें डिटेल स्टडी तो होती ही नहीं।
Union Minister Shri Nitin Gadkari has openly acknowledged that the negligence and poor practices of NHAI officials in the Himalayan region are causing large-scale destruction and even costing lives. His statement is a clear sign that the #JusticeForHimachal campaign is making its… pic.twitter.com/Fa3Isv7KR6
— Anirudh Singh (@anirudhsinghMLA) September 3, 2025
गडकरी ने कहा हर साल बरसात में रोड टूट जाता है। इधर पहाड़, उधर भी पहाड़, बीच में नदी और साथ में नदी किनारे लोग बसे है। हर साल बरसात में लैंडस्लाइड हो रहा है। लोग मर रहे है अब इसका सॉल्यूशन नहीं मिल रहा। गडकरी ने कहा बहुत सारे डीपीआर बिना डिटेल स्टडी के होते हैं और हमारे सरकारी अधिकारी भी अंधे जैसे होते है। ऐसी डीपीआर पर तुरंत टेंडर निकालने का काम करते हैं।
उन्होंने कहा कई मिनिस्टर तो बेचारे समझने वाले नहीं होते। केंद्रीय मंत्री ने कहा बड़ी-बड़ी कंपनियों के कहने पर टैंडर में टेक्निकल और फाइनेंशियल क्वालिफिकेशन डाली जाती है। उन्होंने कार्यक्रम में बैठे इंजीनियरों से आग्रह किया कि डीपीआर अच्छी होनी चाहिए। उन्होंने पहाड़ों में लोगों की जिंदगी से खेलने से बचने को टनलिंग पर ध्यान देने को कहा।
बता दें कि हिमाचल में जब से चंडीगढ़-मनाली फोरलेन बना है। उसके बाद से हर साल ज्यादा तबाही हो रही है। फोरलेन पूरा तैयार होने से पहले ही ब्यास में समा जाता है। प्रदेश में दूसरे फोरलेन और एनएच प्रोजेक्ट के निर्माण को लेकर भी एनएचएआई की कार्यप्रणाली पर बार बार सवाल उठते रहे हैं।
हिमाचल के अलग-अलग क्षेत्रों में इन सडक़ प्रोजेक्ट के कारण बड़ी संख्या में लोगों के मकान खतरे की जद में आ गए है। इसी वजह से राज्य के पंचायतीराज मंत्री अनिरुद्ध सिंह ने भी एनएचएआई अधिकारियों के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है।
गडकरी का यह वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है और लोग मान रहे हैं कि पहली बार गडकरी ने कुल्लू-मंडी में चल रहे सडक़ निर्माण पर सच्चाई व्यक्त की है।