हिमाचल प्रदेश में न्यू पेंशन स्कीम (एनपीएस) का मुद्दा बृहस्पतिवार को विधानसभा में प्रमुखता से गूंजा। प्रश्नकाल के दौरान नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री तथा माकपा विधायक राकेश सिंघा ने यह मामला उठाते हुए सरकार से ओल्ड पेंशन स्कीम को बहाल करने की मांग उठाई।
क्या कहा सीएम ने
इस पर मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने स्पष्ट किया कि ओल्ड पेंशन स्कीम को प्रदेश की सरकार बहाल नहीं करेगी। प्रदेश में वेतन और पेंशन पर हर साल 19 हजार करोड़ रूपए खर्च हो रहे हैं। जबकि सरकार को विभिन्न करों से 10 हजार करोड़ रूपए प्रति वर्ष का राजस्व प्राप्त होता है।
2003 में लागू हुई थी एनपीएस
ऐसे में सरकार के वित्तीय संसाधन पुरानी पेंशन स्कीम की बहाली की इजाजत नहीं देते। जयराम ठाकुर ने कहा कि न्यू पेंशन स्कीम साल 2004 में केंद्र सरकार ने लागू की थी, लेकिन हिमाचल की तत्तकालीन कांग्रेस सरकार ने इसे साल 2003 में ही लागू कर दिया था।
पश्चिम बंगाल में चल रही है ओपीएस
वर्तमान में पश्चिम बंगाल को छोड़कर अन्य सभी प्रदेशों में एनपीएस स्कीम चल रही है। पश्चिम बंगाल भी अब अधिक देर तक पुरानी पेंशन योजना को जारी नहीं रख पाएगा। क्योंकि उसकी वित्तीय हालत बहुत खस्ता है और वहां कर्मचारियों को सिर्फ आधा वेतन मिल रहा है।
14 फीसदी बढ़ाया सरकारी अंशदान
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश की सरकार कर्मचारी हितैषी है। न्यू पेंशन स्कीम में सरकारी अंशदान को एक अप्रैल 2019 से 10 फीसदी से बढ़ाकर 14 फीसदी कर दिया गया है। इससे प्रदेश के 80 हजार एनपीएस कर्मचारी लाभान्वित होंगे और इन्हें 175 करोड़ रूपए सालाना के लाभ मिल रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश में करीब एक लाख 36 हजार 931 पेंशनर हैं। पेंशन व सेवानिवृत्ति लाभों पर छह हजार छह सौ साठ करोड़ रूपए खर्च किए जा रहे हैं।