इन हिमाचल न्यूज़ कांगड़ा।। हाल ही में कथित तौर पर रिश्वत लेने के आरोप में गिरफ्तार किए गए जवाली के डीएसपी ज्ञान चंद ठाकुर के मामले को लेकर कई तरह के सवाल उठने लगे हैं। सोशल मीडिया पर बहुत से लोग यह लिख रहे हैं कि इस मामले के पीछे कोई साजिश हो सकती है। यहां तक कि कुछ पुलिसकर्मियों ने भी फेसबुक पर पोस्ट डालकर ज्ञान चंद को फंसाए जाने की आशंका जताई है।
हालांकि, इस मामले में ध्यान देने की बात यह है कि अगर कोर्ट में साबित हो जाता है कि ज्ञान चंद ठाकुर ने रिश्वत के तौर पर पैसे लिए थे, तो इस बात का कोई मतलब नहीं रह जाएगा कि पैसे कौन और क्यों दे रहा था, साजिश थी या नहीं। अगर एक रुपया भी लिया गया है तो वह अपराध है।
कौन हैं ज्ञान चंद ठाकुर
अपने लंबे सेवाकाल के दौरान हिमाचल में अलग-अलग जगह ड्यूटी कर चुके ज्ञान चंद तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा की सुरक्षा में भी तैनात रह चुके हैं। वह पिछले साल अक्तूबर में ही जवाली में बतौर डीएसपी आए थे। मगर चौंकाने वाली बात यह थी कि जवाली में उनकी तैनाती के चार महीने के अंदर ही उनके तबादले के आदेश कर दिए गए थे। आलम यह था कि फ़रवरी तक ही उनके ट्रांसफर की तीन कोशिशें हो चुकी थीं मगर कोर्ट स्टे होने के कारण उनका तबादला नहीं हो पाया।
जवाली में प्रभार संभालने के बाद से ही ज्ञान चंद ने नशे के खिलाफ अभियान छेड़ने की बात कही थी। इसके बाद इलाके में चरस, चिट्टा और नशीली दवाइयों के पकड़े जाने पर कई मामले दर्ज किए गए थे। हाल में चार अगस्त को ही इंदौरा में चिट्टा और कैपसूल पकड़े गए थे। पिछले लगभग 10 महीनों में जवाली पुलिस ने इस इलाके में ऐसी कई कार्रवाइयां की हैं।
पिछले दिनों जवाली पुलिस ने पौंग डैम में तैरने से रोकने पर सिख पुलिसकर्मी से हाथापाई करने वाले स्थानीय लोगों को भी पकड़ा था। इसके अलावा इलाक़े में खनन में सक्रिय लोगों के खिलाफ भी डीएसपी ज्ञान चंद द्वारा सख्त रुख अपनाने की बात चर्चा में है। कहा जा रहा है कि वह बेहद दबाव के हालात में काम कर रहे थे।
बार-बार तबादला
इस साल फरवरी तक ही ज्ञान चंद के तीन बार उनके तबादले की कोशिश हो चुकी थी। उस समय एक पत्रकार को दिए इंटरव्यू में ज्ञान चंद ने बताया था कि उन्होंने हाई कोर्ट से स्टे लिया हुआ है, इसीलिए उनके तबादले की कोशिशें नाकाम रह रही हैं। हाल ही में उन्हें नूरपुर का अतिरिक्त प्रभार मिला हुआ था। अब ऐसी चर्चा है कि तबादला करवाने में असफल रहने के बाद अपने रास्ते से हटाने के लिए ही उन्हें फंसाने का खेल रचा गया है।
क्या है मामला
हिमाचल प्रदेश पुलिस के विलिजेंस डिपार्टमेंट ने 12 अगस्त को जवाली के एसपी ज्ञान चंद को कथित तौर पर रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया था। आरोप है कि ज्ञान चंद ने एससी-एसटी एक्ट के तहत आरोपी एक शख्स से 50 हजार रुपये मांगे थे। बदले में कथित तौर पर ज्ञान चंद ने मामले को दबाने का आश्वासन दिया।
विजिलेंस के एसपी अरुल कुमार ने पत्रकारों को बताया था कि शिकायकर्ता ने कहा था कि डीएसपी ज्ञान चंद ने 50 हजार रुपये मांगे थे जिसमें से पांच हजार उसने दे दिए थे जबकि बाकी की रकम नूरपुर ऑफिस में देनी थी। बताया गया कि बाकी के 45 हजार रुपये देने के दौरान ही विजिलेंस टीम ने डीएसपी को पकड़ लिया।
मंगलवार को स्टेट विजिलेंस एवं एंटी करप्शन ब्यूरो धर्मशाला की टीम ने डीएसपी को स्पेशल जज धर्मशाला की अदालत में पेश किया, जहां से उन्हें एक दिन के पुलिस रिमांड पर भेज दिया गया। बहरहाल, इस कार्रवाई को लेकर हिमाचल पुलिस की तारीफ हो रही थी कि कैसे उसने अपने ही विभाग के एक कर्मचारी पर कार्रवाई की। मगर अब इस कार्रवाई को लेकर कई ओर से सवाल उठना शुरू हो गए हैं। यहां तक कि डिपार्टमेंट के अंदर से भी।
पॉलिटिकल दबाव?
जवाली इलाके में चर्चा है कि डीएसपी ज्ञान चंद को सत्ताधारी नेताओं और उनके करीबियों से उलझने का खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। उन्हें नजदीक से जानने वाले इस घटना पर हैरानी जता रहे हैं और इसके पीछे कोई साजिश होने की आशंका से इनकार नहीं कर रहे। अधिकारी को खूंखार अपराधी की तरह पकड़कर फोटो खिंचवाने और मीडिया में जारी करने को संदिग्ध निगाहों से देखा जा रहा है। इसे अदालत द्वारा दोषी ठहराए जाने से पहले ही दोषी साबित किए जाने की कोशिश बताया जा रहा है।
इस बीच क्षत्रिय महासभा नाम के संगठन ने आशंका जताई है कि जब स्थानीय माफिया जब हाई कोर्ट का स्टे होने के कारण ज्ञान चंद का तबादला नहीं कर पाया तो उन्हें रास्ते से हटाने के लिए यह साजिश रच दी गई। उधर बीजेपी के ही कुछ स्थानीय कार्यकर्ता भी इस घटनाक्रम पर सवाल उठा रहे हैं।
इस बीच विवादों में रहने वाले जवाली के पूर्व विधायक भी इस मामले में कूद पड़े हैं। उन्होंने कहा है कि इस मामले पर पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार का यह कहना कि इस डीएसपी से स्थानीय विधायक भी परेशान थे, किसी बड़ी साजिश की ओर इशारा करता है। दरअसल शांता कुमार ने डीएसपी के पकड़े जाने को लेकर कहा है- आम लोग ही नहीं, हमारे विधायक भी इनसे परेशान थे।
इस बीच सोशल मीडिया पर भी लोगों की राय इस मामले पर बंटी हुई नज़र आ रही है। एक धड़ा जहां उन्हें ईमानदार, विनम्र और नशा व खनन माफिया के खिलाफ सख्त रहने वाला अधिकारी बता रहा है तो दूसरे पक्ष का मानना है कि कुछ तो गड़बड़ की होगी, वरना ऐसे क्यों गिरफ्तारी की गई।
एक पक्ष ऐसा भी है जो मानता है कि दोनों बातें हो सकती हैं कि साजिशन उन्हें रुपयों की पेशकश की गई हो जिसे उन्होंने स्वीकार कर लिया और फिर पकड़े गए। हालांकि, ऐसा है तो यह भी अपराध ही है और इसका कोई भी बचाव नहीं हो सकता। मगर इस बीच अजीब बात यह है कि कुछ लोग उनके शरीर और लुक्स का भी मजाक बना रहे हैं और उन्हें विलेन करार देते हुए दोषी करार दे रहे हैं।
बहरहाल, अभी इस मामले की जांच चल रही है और अदालत तय करेगी कि सच क्या है और क्या झूठ।