पर्यटन नगरी धर्मशाला के चाय बागानों में पत्तियों और चीड़ की हरी पत्तियों के धुएं से चाय को फ्लेवर देकर तैयार पाइंसवुड स्मॉक टी देश-विदेश में भी प्रसिद्ध हो रही है।

फ्रांस सहित अन्य देशों में धर्मशाला की पाइंसवुड स्मॉक टी की मांग बढ़ रही है। धर्मशाला में स्थित फैक्टरी में चीड़ की हरी पत्तियों के धुएं से चाय को फ्लेवर देकर पाइंसवुड स्मॉक टी तैयार की जा रही है।
धर्मशाला के जंगलों से चीड़ की हरी पत्तियों को लाया जाता हैं। उसके बाद फैक्टरी में रखी गई एक विशेष मशीन में उन चीड़ की पत्तियों को हल्की आग से निकले धुएं से चाय को फ्लेवर दिया जाता हैं।
इस सारी प्रक्रिया के बाद चाय को बनाने में पूरा दिन लग जाता है। जानकारी के अनुसार पूरे दिन में मात्र 25 किलोग्राम चाय ही बनकर मशीन में तैयार होती है।
इसके बाद इसे तैयार करके फ्रांस सहित अन्य देशों में दो हज़ार से 2500 किलोग्राम के हिसाब से बेचा जाता हैं, पाइंसवुड स्मॉक टी बैग 13 रुपए का बिकता है।
धर्मशाला चाय उद्योग के प्रबंधक अमनपाल सिंह ने बताया कि फैक्टरी में चीड़ की हरी पत्तियों के धुएं से चाय को फ्लेवर देकर पाइंसवुड स्मॉक टी तैयार की जा रही है।
यूरोपीय संघ से मिला जीआई टैग
पाइंसवुड स्मॉक टी को यूरोपीय संघ के जीआई टैग मिल गया है, जबकि वर्ष 2005 में ही भारत का जीआई टैग मिल चुका है, और अब यूरोपीय संघ का जीआइ टैग मिलने से यह विश्व की महत्त्वपूर्ण व ब्रांडेड वस्तुओं में शामिल हो गई है।
पाइंसवुड स्मॉक टी को यूरोपीय संघ के जीआई टैग मिलने से उत्पादन और बिक्री बड़े स्तर पर होने के साथ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसकी पहचान भी मिलेगी।
क्या बोले धर्मशाला टी-फैक्टरी के मैनेजर
मैनेजर अमन पाल ने कहा कि धर्मशाला टी फैक्टरी में गत 19 सालों से सेवाएं दे रहे। उन्होंने बताया कि फैक्टरी में चीड़ की हरी पत्तियों के धुएं से चाय को फ्लेवर देकर पाइंसवुड स्मॉक टी तैयार की जा रही है।
इसकी सबसे अधिक डिमांड फ्रांस से आ रही है। इसके साथ पाइंसवुड स्मॉक टी को भारत में भी ऐसे पसंद किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि अप्रैल में चाय पत्ती की पहली तोड़ शुरू कर दी गई थी, जिसकी विश्व स्तर पर बेहद डिमांड रहती है।