शानन परियोजना की हेरिटेज ट्रॉली का अब बदलेगा स्वरूप

जोगिन्दरनगर : जोगिन्दरनगर स्थित शानन परियोजना की हेरिटेज ट्रॉली का स्वरूप 99 साल बाद अब बदलने जा रहा है। इस एतिहासिक रोपवे के जीर्णोद्वार पर तीन करोड़ से अधिक धनराशि खर्च करने के बाद हेरिटेज ट्रॉली के आधारभूत ढांचे को बदलने को लेकर लाखों रूपये के टेंडर पंजाब राज्य विद्युत् परियोजना प्रबंधन ने लगा दिए हैं।

शानन से वींचकैम्प तक जा रही ट्रॉली का रोमांचकारी दृश्य

अनुमानित दस लाख रूपये हेरिटेज ट्रॉली के आधारभूत ढांचे के बदलने पर खर्च किए जा रहे हैं। ट्रॉली में सफर के दौरान बैठने के पुख्ता प्रबंधों के अलावा बारिश और धूप से बचने के लिए छत का भी नए सिरे से निर्माण होगा।

इससे पहले रोपवे में स्थापित 22 सौ स्लीपरों के बदलने पर अनुमानित तीन करोड़ रूपये का खर्चा प्रयोजना प्रबंधन की ओर से किया गया है. स्टील रोपवे को भी नए सिरे से स्थापित किया गया है.

पॉवर हाउस से वींचकैम्प तक चार ट्रोलियों की सुरक्षित आवाजाही के लिए पंजाब राज्य सरकार ने करोड़ों रुपए का बजट स्वीकृत कर हेरिटेज ट्रॉली के कायाकल्प को लेकर दिलचस्पी दिखाई है।

बरोट नामक सुन्दर स्थान में रेजरवायर के निर्माण के लिए बना था यह रोपवे

जोगिन्दरनगर में 110 मेगावाट शानन पॉवर हाउस के निर्माण के लिए 1926 में एशिया के पहले रोपवे का निर्माण ब्रिटिश नागरिक कर्नल बैटी ने किया था.

जोगिन्दरनगर से बरोट तक एतिहासिक ट्रॉली के माध्यम से रेजर वे के निर्माण के लिए भारी भरकम सामान पहुंचाया गया था.

मौजूदा समय में वीचकैम्प तक इस रोपवे पर चार ट्रालियां आवागमन करती हैं।करीब नौ किलोमीटर के रोपवे पर 18 नम्बर के नजदीक वफर स्टॉप पर ट्रालियों के ठहराव की व्यवस्था की गई है.

आज इस एतिहासिक धरोहर को बचाने की जरूरत है। अब इस ट्रैक पर कार्य शुरू हो चुका है। इस ट्रॉली के नियमित चलने से पर्यटन को बढ़ावा मिल सकता है।

मंडी जिला की चौहार घाटी में स्थित सुन्दर स्थल बरोट के लिए 18 नम्बर से आगे इसी रास्ते से कई लोग बरोट तक पैदल जाते हैं तथा रोमांचकारी यात्रा का मज़ा लेते हैं।

वहीँ हेरिटेज ट्रॉली की बात करें तो इसमें स्वार होकर अभी भी स्थानीय लोग सफर करते हैं।

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