हिमाचल सरकार ने शिक्षकों की भर्ती करने और मिड-डे मील की योजना में बड़े बदलाव की तैयारी की है। यह दोनों बदलाव आगामी शैक्षणिक सत्र से नजर आएंगे। राज्य सरकार स्कूलों में शिक्षकों की कमी वैकल्पिक आधार पर दूर करेगी।
सरकार इसके लिए गेस्ट फैकल्टी टीचर्स पॉलिसी लाने का फैसला किया है। इस पॉलिसी के तहत अस्थायी तौर पर शिक्षकों की भर्ती स्कूलों में होगी। खासतौर पर उन स्कूलों में शिक्षक रखे जाएंगे, जो अभी खाली चल रहे हैं।
राज्य सरकार इस नीति से शिक्षकों की कमी को पूरा करने के साथ ही बेरोजगार प्रशिक्षित अध्यापकों को अस्थायी तौर पर रोजगार भी मुहैया करवाएगी। राज्य सरकार ने मिड-डे मील योजना में भी बदलाव की तैयारी की है।
जिन स्कूलों में पहली से आठवीं तक की कक्षाएं एक ही कैंपस में लग रही हैं, वहां मिड-डे मील अब अलग-अलग नहीं, बल्कि एक साथ पकाया जाएगा। ये दोनों बदलाव 31 मार्च के बाद शुरू होने वाले आगामी शैक्षणिक सत्र में देखने को मिलेंगे।
फिलहाल, इन पर अंदरखाते काम शुरू हो गया है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने साफ किया है कि प्रदेश में शिक्षा के स्तर को सुधारने के लिए अब यह कदम उठाए जाएंगे। मुख्यमंत्री सुक्खू इससे पहले प्रदेश के सभी प्राथमिक स्कूलों में अंग्रेजी माध्यम से पढ़ाई शुरू करने की बात कह चुके हैं।
शिक्षा का स्तर सुधारेगी राज्य सरकार
मुख्यमंत्री ने कहा है कि भाजपा सरकार ने 900 स्कूल खोलने का फैसला किया था। ये स्कूल खुल जाते तो इनमें शिक्षकों की पूर्ति करना मुश्किल हो जाता। राज्य सरकार क्वाल्टी एजुकेशन पर ध्यान केंद्रित करेगी।
पांचवीं कक्षा के बच्चों को दूसरी कक्षा के विषय समझने में कठिनाई आ रही है। हिमाचल में शिक्षा की रैंकिंग गिरी है और अब प्रदेश में शिक्षा दर दूसरे से 18वें पायदान पर पहुंच गई है। इसमें दोबारा से सुधार के लिए प्रदेश सरकार व्यापक कदम उठाएगी। इसके लिए गुणात्मक शिक्षा पर ध्यान दिया जाएगा।
पहले से तय है विधायकों के मतदान का रिवाज
मुख्यमंत्री सुक्खू ने कहा है कि नगर निगम के मेयर और डिप्टी मेयर में विधायकों के मतदान का नियम पहले से बना हुआ है। राज्य सरकार ने इसे लेकर कोई भी नई व्यवस्था नहीं दी है।
प्रदेश में चार नगर निगम में मेयर और डिप्टी मेयर के चुनाव होने हैं। इनमें से पालमपुर और मंडी में यह प्रक्रिया पूरी हो चुकी है, जबकि अब धर्मशाला और सोलन में चुनाव होंगे।
उन्होंने कहा कि विधायकों के मतदान का नियम पहले से तय है। लेकिन यह विधायकों पर निर्भर करता है कि वे मतदान की प्रक्रिया में भाग लेंगे या नहीं।