मुख्यमंत्री ने आपदा प्रभावित परिवारों को ज़ारी किए 14 करोड़

हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने इस वर्ष बरसात के दौरान भारी बारिश, भूस्खलन तथा बाढ़ से आई आपदा से प्रभावित परिवारों के लिए ‘पुनर्वास’ कार्यक्रम के तहत आज हमीरपुर जिला में आपदा प्रभावित परिवारों को 14 करोड़ रुपए से अधिक की राहत राशि प्रदान की, जिनमें 122 परिवारों को मकान पूरी तरह से क्षतिग्रस्त होने पर पहली किस्त के रूप में 3-3 लाख रुपए जारी किए।

आपदा प्रभावितों को चेक ज़ारी करते मुख्यमंत्री

ऐसे परिवारों को कुल पहली किस्त के रूप में 3.66 करोड़ रुपए जारी किए गए। मुख्यमंत्री ने जिला के दो बेघर परिवारों को भूमि के दस्तावेज सौंपे तथा आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हुए 555 मकानों की मरम्मत के लिए 1-1 लाख रुपए की आर्थिक सहायता प्रदान की।

उन्हें कुल 5.55 करोड़ की राशि जारी की गई। इसके अलावा उन्होंने प्रभावित 8 दुकानों और ढाबों मालिकों को भी एक-एक लाख रुपए की मुआवजा राशि प्रदान की।

उन्होंने क्षतिग्रस्त 622 गौशालाओं की मरम्मत के लिए 3.11 करोड़ रुपए, आपदा में अपना सामान गंवा चुके 71 परिवारों को 50-50 हजार रुपए की आर्थिक सहायता प्रदान की।

इसके अलावा आपदा के कारण जिला हमीरपुर में क्षतिग्रस्त हुई 1103 कनाल भूमि की एवज में 10 हजार रुपए प्रति बीघा की दर से कुल 55 लाख रुपए तथा 1760 कनाल भूमि पर किसानों की फसल को हुए नुकसान पर 4 हजार रुपए प्रति बीघा की दर से 35.20 लाख रुपए की मुआवजा राशि प्रदान की।

उन्होंने वर्षों से लम्बित बस स्टैंड के निर्माण के लिए पहली किस्त के रूप में 2 करोड़ रुपये प्रदान करने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि नेरी में तीन करोड़ रुपये की लागत से बागवानी विश्वविद्यालय के छात्रावास का निर्माण किया जाएगा।

उन्होंने कहा कि राज्य सरकार आमजन और गरीब की सरकार है तथा उनके दुःख-दर्द को बेहतर ढंग से जानती है। आपदा के दौरान राज्य सरकार ने 48 घंटे में बिजली, पानी जैसी आवश्यक सेवाएं बहाल की तथा फंसे हुए 75 हजार पर्यटकों और 15 हजार गाड़ियों को सुरक्षित निकाला।

उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश में इतिहास में पहले कभी भी इतने व्यापक पैमाने पर क्षति नहीं हुई लेकिन भाजपा नेता विधानसभा सत्र की मांग करते रहे। जब सत्र बुलाया तो तीन दिन की चर्चा के बाद भी आपदा प्रभावितों के समर्थन में लाए गए प्रस्ताव का साथ नहीं दिया।

उन्होंने कहा कि विशेष पैकेज के लिए वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से भी मिले, लेकिन आज तक केंद्र सरकार ने एक पैसे की मदद नहीं की। यही नहीं नियमानुसार 10 हजार करोड़ रुपए के क्लेम केंद्र को भेजे गए हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि भाजपा के सांसदों ने राहत पैकेज के लिए कोई प्रयास नहीं किए और न ही किसी केंद्रीय नेता से मांग नहीं की। राज्य सरकार ने 75 हजार करोड़ का कर्ज और सरकारी कर्मचारियों की 10 हजार करोड़ की देनदारियां होने के बावजूद आपदा प्रभावितों के लिए 4500 करोड़ रुपए का विशेष राहत पैकेज जारी किया है।

जिसके तहत पूरी तरह से क्षतिग्रस्त घर पर दिए जाने वाले 1.30 लाख रुपए के मुआवजे को साढ़े पांच गुणा बढ़ाकर सात लाख रुपए किया गया है।

इसके अलावा कच्चे मकान के आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त होने पर मुआवजे को 25 गुणा बढ़ाते हुए 4000 रुपए से एक लाख रुपए तथा पक्के घर को आंशिक क्षति होने पर मुआवजे को साढ़े 15 गुणा बढ़ाकर एक लाख रुपए किया गया है।

इसके साथ-साथ बिजली व पानी का निःशुल्क कनेक्शन तथा 280 रुपए प्रति बोरी की दर से सीमेंट उपलब्ध करवाया जाएगा।

सीएम सुक्खू ने कहा कि दुकान तथा ढाबा के क्षतिग्रस्त होने पर मुआवजे को 25 हजार रुपए से चार गुणा बढ़ाकर एक लाख रुपये किया गया है। गौशाला को हुए नुकसान की भरपाई की राशि 3 हजार रुपये से बढ़ाकर 50 हजार रुपए की गई है।

प्रदेश सरकार किराएदारों के सामान के नुकसान पर 2500 रुपये की मुआवजा राशि में 20 गुणा बढ़ोतरी कर 50 हजार रुपए की सहायता राशि प्रदान करेगी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि पुरानी पेंशन लागू करने पर केंद्र सरकार ने हिमाचल प्रदेश पर कई प्रतिबंध लगा दिए। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश के पास 6600 करोड़ रुपए लोन की लिमिट है और राज्य सरकार ने अब तक 4100 करोड़ रुपए का लोन लिया है।

उन्होंने कहा कि पूर्व भाजपा सरकार ने राजनीतिक लाभ के लिए अपने कार्यकाल के अंतिम वर्ष में 1100 नए शिक्षण संस्थान खोले।

नई सरकार बनने के बाद रात को अधिकारियों के साथ बैठकें की गई और राज्य को कर्ज की दलदल से बाहर निकालने के लिए प्रयास किए, ताकि हिमाचल प्रदेश को आत्मनिर्भर बनाया जा सके।

उन्होंने कहा कि राज्य सरकार प्रदेश को चार वर्षों में आत्मनिर्भर बनाने और 10 वर्षों में देश में सबसे समृद्ध राज्य बनाने के लिए प्रयास कर रही है।

सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि वर्तमान राज्य सरकार अपने संसाधनों में वृद्धि करने के लिए प्रतिबद्धता के साथ कार्य कर रही है। इस वर्ष हिमाचल प्रदेश सरकार के राजस्व में 1100 करोड़ रुपये की वृद्धि का अनुमान है।

शराब के ठेकों की नीलामी से राज्य सरकार को 500 करोड़ रुपये का अतिरिक्त राजस्व मिलेगा। उन्होंने कहा कि हमीरपुर में जल्द ही राज्य चयन आयोग शुरू किया जाएगा।

उन्होंने कहा कि राज्य सरकार 6000 अध्यापकों, 2000 से अधिक वन मित्रों के पद भरने जा रही है। इसके साथ-साथ पुलिस भर्ती में महिलाओं को 30 प्रतिशत आरक्षण प्रदान किया जाएगा।

उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने प्रदेश भर में 30 व 31 अक्तूबर, 2023 को इंतकाल अदालतों का आयोजन किया, जिसके परिणाम बेहतर रहे तथा इंतकाल के लम्बित 41,907 मामलों में से 31,105 का निपटारा कर दिया गया।

उन्होंने कहा कि आगामी 1 व 2 दिसंबर को पुनः प्रदेश भर में इस प्रकार की विशेष अदालत का आयोजन किया जाएगा, जिसे राजस्व लोक अदालत का नाम दिया गया है।

इस विशेष अदालत में इंतकाल के साथ-साथ तकसीम के लम्बित मामलों का प्राथमिकता के आधार पर निपटारा किया जाएगा। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार राजस्व से संबंधित लंबित मामलों को 20 जनवरी तक निपटाने का प्रयास कर रही है।

सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा ‘‘मेडिकल कॉलेज कांग्रेस पार्टी की देन है जिसे मैं लेकर आया हूं, जिसमें कैंसर का बेस्ट सेंटर स्थापित करने जा रहे हैं। धीरे-धीरे राज्य की आर्थिक नींव को मजबूत करते हुए आगे बढ़ रहे हैं।

राज्य सरकार ने अपने अधिकार वापस लेने के लिए लड़ाई शुरू की है। धौलासिद्ध, लूहरी और सुन्नी बिजली परियोजनाओं में भी हिमाचल के लोगों को अधिकार लेकर रहेंगे।’’

उन्होंने पिछली भाजपा सरकार के कार्यकाल में हिमाचल प्रदेश कर्मचारी चयन आयोग में पेपर बेचे गए जिसे देखते हुए राज्य सरकार ने इसे भंग कर दिया।

उन्होंने कहा कि पिछली सरकार के कार्यकाल में पुलिस भर्ती घोटाला, 100 करोड़ रुपए का खनन घोटाला तथा 2500 करोड़ का क्रिप्टो करंसी घोटाला हुआ।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में पोस्ट कोड 817 और 939 की भर्ती का मामला पिछले कई वर्षों से न्यायालय में लम्बित था, लेकिन राज्य सरकार के प्रयासों से इन मामलों की सुनवाई में तेजी आई और जल्द ही इन भर्ती परिक्षाओं के परिणाम घोषित कर दिए जाएंगे।

सीएम सुक्खू ने जिला हमीरपुर में 4 अनाथ बच्चों को प्रमाण-पत्र तथा एक भूमिहीन अनाथ बच्चे को जमीन के दस्तावेज भी सौंपे।

उन्होंने कहा कि जिला के 252 बच्चों को चिल्ड्रन ऑफ द स्टेट के रूप में अपनाया गया है, जिसमें से 105 बच्चे 18 वर्ष की आयु तक तथा 147 बच्चे 18 से 27 वर्ष की आयु के हैं।

उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री बनने के बाद वह सचिवालय न आकर बालिका आश्रम टूटीकंडी गए। राज्य सरकार ने मुख्यमंत्री सुख-आश्रय योजना आरंभ की, जिसमें 27 वर्ष तक इन बच्चों की देखभाल राज्य सरकार की जिम्मेदारी होगी।

अनाथ बच्चों को उच्च शिक्षा, आत्मनिर्भर बनाने के लिए आर्थिक सहायता के साथ घर बनाने के लिए मदद व भूमि भी दे रही है।

मुख्यमंत्री ने श्रीनिवास रामानुजन डिजिटल स्टूडेंट योजना के तहत जिला हमीरपुर के 13 मेधावी विद्यार्थियों को टेबलेट भी प्रदान किए।

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