धर्मशाला और शिमला के बाद पूरे प्रदेश में स्मार्ट मीटर लगाने का सिलसिला शुरू होने जा रहा है। बिजली बोर्ड की ओर से केंद्र को भेजे गए प्रस्ताव को स्वीकृति मिल गई है और बोर्ड अब इस प्रक्रिया को आगामी चरण में शुरू करेगा।
केंद्र से स्मार्ट मीटर और अन्य विद्युत प्रबंधों पर खर्च होने वाली धनराशि 90 और 10 के अुनपात में होगी। यानी 90 प्रतिशत की हिस्सेदारी केंद्र की रहेगी। जबकि दस फीसदी खर्च राज्य सरकार को उठाना होगा।
सबसे महत्त्वपूर्ण बात इसमें यह भी है कि अब बिजली बोर्ड को केंद्र से मिलने वाली मदद पर किसी भी तरह का ब्याज नहीं देना होगा। इस योजना में न सिर्फ बिजली के मीटर बदले जाएंगे, बल्कि बिजली की तारों और खंभों की भी मरम्मत होगी।
बोर्ड ने राज्य में आधुनिकता लाने के क्षेत्र में कदम बढ़ाते हुए पिछले दिनों दो बड़े प्रोजेक्ट तैयार किए थे। इनमें एक प्रोजेक्ट 100 करोड़ रुपए का था। इसमें ग्रामीण इलाकों में ट्रांस्फार्मर लगाए जाने थे और इसके साथ ही तारों को भी मजबूत किया जाना था।
यह प्रोजेक्ट बार-बार ट्रांस्फार्मर फेल होने और वोल्टेज की समस्या को खत्म करने के लिए तैयार किया गया था। इसके बाद बिजली बोर्ड ने केंद्र सरकार के समक्ष एक और प्रोजेक्ट प्रस्तावित किया।