हिमाचल प्रदेश में पंप स्टोरेज पावर प्रोजेक्ट्स को नई पॉलिसी

हिमाचल प्रदेश में पंप स्टोरेज पावर प्रोजेक्टों के लिए नई विद्युत पॉलिसी लाई जाएगी। इसमें विद्युत कंपनियों से मुफ्त बिजली की रॉयल्टी भी तय होगी, जो कि हाइड्रो पावर से कम रखी जाएगी। इस पर चर्चा आखिरी चरण में है और जल्दी ही सरकार इसकी घोषणा करेगी।

विशेषज्ञों के अनुसार जो कंपनियां यहां पर पंप स्टोरेज प्रोजेक्ट लगाएंगी, वे प्रति यूनिट पांच रुपए तक कमाई कर सकती हैं क्योंकि पंप स्टोरेज से उत्पादित बिजली को पीक लोड ऑवर में बेचा जाएगा। दोपहर और रात में पानी को स्टोर करने का काम किया जाएगा, जबकि सुबह व शाम के समय में बिजली की बिक्री होगी।

इससे हिमाचल सरकार को भी काफी मदद मिलेगी, जिसकी पीक लोड ऑवर में बिजली की जरूरत पूरी हो जाएगी, क्योंकि रॉयल्टी की बिजली सरकार इन प्रोजेक्टों से लेगी। पूर्व भाजपा सरकार ने पॉलिसी बनाई थी, लेकिन उसमें रॉयल्टी का प्रावधान नहीं किया गया है।

अब वर्तमान सरकार नई पॉलिसी लाने जा रही है। इसमें सरकार हिमाचल के हितों को ध्यान में रखते हुए मुफ्त बिजली रॉयल्टी का प्रावधान करेगी। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू का मानना है कि जब हिमाचल अपनी जमीन दे रहा है, पानी दे रहा है और विस्थापन का दंश झेल रहा है, तो उसे अपना हक लेना भी जरूरी है।

यही निर्देश उन्होंने ऊर्जा विभाग के अधिकारियों को दिए हैं और इसी दिशा में अधिकारियों ने पॉलिसी के प्रारूप पर चर्चा की है। इन प्रोजेक्ट्स के लिए रिजर्वायर बनाने पड़ते हैं और उसके लिए कंपनियों को काफी जमीन चाहिए। लिहाजा उनको आर एंड आर पॉलिसी के तहत लाभ दिए जाएंगे। कुछ कंपनियों ने जमीन को चिन्हित भी कर लिया है।

ये कंपनियां हाइड्रो पावर में काम कर रही है और अब पंप स्टोरेज प्रोजेक्टों पर काम करना चाहती हैं। इनके प्रस्तावों को देखते हुए सरकार ने मुफ्त बिजली रॉयल्टी का प्रावधान करने की सोची है।

हालांकि हाइड्रो पावर के लिए सरकार ने हाल ही में पॉलिसी में संशोधन किया है और उसमें 12,18 व 30 फीसदी की रॉयल्टी तय की है, मगर पंप स्टोरेज प्रोजेक्टों में उतनी ज्यादा रॉयल्टी सरकार नहीं लेगी।

पांच रुपए प्रति यूनिट कमाई

पंप स्टोरेज प्रोजेक्ट्स के बारे में बात करें, तो दोपहर में और रात के समय में पीक लोड ऑवर नहीं होते हैं। पीक लोड ऑवर का मतलब है कि जब बिजली की अधिक जरूरत रहती है।

दोपहर के समय में और रात के समय में ऐसी जरूरत नहीं होती है और उस समय में बिजली का रेट ग्रिड में तीन से साढ़े तीन रुपए प्रति यूनिट का होता है। उस समय पंप स्टोरेज प्रोजेक्ट पानी की पंपिंग कर सकते हैं।

यानी वे तीन या साढ़े तीन रुपए प्रति यूनिट बिजली का इस्तेमाल करके पानी को रिजर्वायर तक पहुंचा सकते हैं। इसी बिजली को वे पीक लोड ऑवर्स, जो कि सुबह व शाम को रहते हैं, के समय बेचेंगे, तो यह बिजली नौ रुपए प्रति यूनिट या इससे अधिक पर बिकती है। ऐसे में सीधे रूप से कंपनी को पांच रुपए प्रति यूनिट तक का फायदा हो सकता है।

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