हिमाचल प्रदेश विधानसभा का मानसून सत्र सात सितंबर से शुरू होने जा रहा है। इसका ऐलान कर दिया गया है। काफी समय से विधानसभा सत्र को बुलाए जाने की मांग विपक्ष भी कर रहा था, मगर कोविड को ध्यान में रखते हुए इस पर निर्णय नहीं हुआ। सोमवार को दिल्ली से मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के लौटने के बाद मंगलवार को सत्र की घोषणा कर दी गई।
विधानसभा अध्यक्ष विपिन सिंह परमार ने कहा कि पूरी सुरक्षा के साथ सत्र का आयोजन किया जाएगा। इसमें विधायकों के मध्य सदन के भीतर ट्रांसपेरेंट ग्लास शील्ड लगाई गई है, ताकि उनमें उचित दूरी रहे। चूंकि कोरोना काल है, लिहाजा इसमें पूरी एहतियात बरतनी जरूरी है।
मानसून सत्र में कुल 10 बैठकों का आयोजन किया जाएगा। अमूमन मानसून सत्र में छह ही बैठकें होती हैं, लेकिन इस बार ज्यादा बैठकें करवाई जाएंगी, क्योंकि बजट सत्र में भी पूरी बैठकों का आयोजन नहीं हो सका था। बजट सत्र 23 मार्च तक चला था और इसमें 15 बैठकों का ही आयोजन हो सका
कोरोना के कारण बीच में ही सदन को स्थगित करना पड़ा था। मानसून सत्र के दौरान एक दिन प्राइवेट मेंबर डे के लिए रखा गया है। इसकी घोषणा के साथ सियासी पारा भी अब चढ़ने लगेगा। सीएम ने कहा कि यहां विपक्ष को माकूल जवाब दिया जाएगा, वहीं विपक्ष पहले से अपने हथियारों को धार देने में लगा है।
कोरोना काल में सरकार पर कई तरह के आरोप लगाए जा रहे हैं, जिनका जवाब सरकार मानसून सत्र में देगी। कथित स्वास्थ्य घोटाले के साथ कई दूसरे आरोप भी हैं, जिन पर लगातार वार हो रहा है। हालांकि इन मामलों में जो जांच हुई है, उसमें एक जांच रिपोर्ट में झूठा पत्र लिखने वाले को हिरासत में लेने के बाद छोड़ भी दिया गया था और इसमें सरकार पाक-साफ होने का दावा कर रही है।
प्रदेश की आर्थिक स्थिति दूसरा बड़ा मुद्दा है, जिस पर भी विपक्ष घेराबंदी की कोशिश करेगा। सरकार द्वारा खर्चों में बढ़ोतरी का एक अहम मुद्दा रहेगा, वहीं यहां हुए नुकसान पर सरकार किस तरह से काम कर रही है, इसकी भी पूरी तफसील ली जाएगी।
कोरोना के मामले आखिर यहां क्यों बढ़े और सरकार की नाकामियां क्या रहीं, इस पर वार होगा, जिसका जवाब सरकार देगी। मंगलवार से मानसून सत्र की तैयारियां प्रदेश में सियासी रूप से शुरू हो गई हैं।