हिमाचल पुलिस कांस्टेबल पेपर लीक मामले की जांच कर रहा विशेष जांच दल इस मामले के मास्टरमाइंड तक पहुंच गया है और उसे गिरफ्तार करने के लिये राजस्थान पुलिस के साथ जाल बिछाया गया है। आरोपी चित्तौड़गढ़ में आयकर विभाग का कर्मचारी बताया जा रहा है।
वहीं, हिमाचल पुलिस के एक डीआईजी और तीन एसपी स्तर के अधिकारियों समेत प्रिंटिंग कमेटी के चार सदस्यों पर भी गाज गिरना तय है। यानि जिनके पास अपराध रोकने की जिम्मेवारी थी, वही खुद अपराधी हो गये। अब तक मामले में 91 लोग गिरफ्तार हो चुके हैं।
प्रिंटिंग प्रेस से लीक हुआ पेपर
हिमाचल पुलिस भर्ती पेपर लीक मामले की जांच कर रहे विशेष जांच दल ने अपनी जांच में पाया है कि पेपर सेट करते समय नहीं बल्कि इसे छापते समय प्रिंटिंग प्रेस पर लीक हुआ। यह जानकारी बाहर आते ही अब पेपर बनाने वाली पुलिस की चार सदस्यीय प्रिंटिंग कमेटी संदेह के दायरे में है।
इस कमेटी को कागजों की छपाई की निगरानी और गोपनीयता बनाए रखने का काम सौंपा गया था। बताया जा रहा है कि पेपर सेटिंग कमेटी द्वारा 200 सवालों का हस्तलिखित क्वेश्चन बैंक तैयार किया गया था। जांच में यह पाया गया कि जिन उम्मीदवारों के पास पेपर तक पहुंच थी, वे केवल अंतिम 80 प्रश्नों के बारे में जानते थे। इसके चलते पुलिस का एक डीआईजी और तीन एसपी समेत प्रिंटिंग कमेटी के चार सदस्यों के खिलाफ प्रशासनिक कार्रवाई करने की तैयारी शुरू हो गई हैं।
मास्टरमाइंड को पकड़ने के लिए बिछाया जाल
इस मामले में आरोपी शिव बहादुर सिंह, जिसे वाराणसी से गिरफ्तार किया गया था, पहले भी इसी तरह के मामलों में शामिल था। गिरोह ने एक संगठित अपराध नेटवर्क के माध्यम से प्रश्न पत्र प्राप्त किया और एजेंटों की मदद से संभावित उम्मीदवारों तक पहुंचाया।
प्रदेश पुलिस कांस्टेबल भर्ती में 1,87,476 आवेदकों में से 75,803 ने फिजिकल टेस्ट क्वालीफाई किया था। उनमें से 26,346 ने 27 मार्च को 11 जिलों के 81 केंद्रों पर आयोजित लिखित परीक्षा पास की।
इस बीच, पुलिस कांस्टेबल भर्ती के पेपर लीक मामले में पुलिस मुख्यालय की ओर से जारी प्रेस नोट में बताया गया है कि जिला सोलन में पुलिस भर्ती का जो पेपर लीक हुआ था, उसके पीछे जिला सीकर, राजस्थान, निवासी संदीप टेलर का हाथ था। यह व्यक्ति चित्तौड़गढ़ में आयकर विभाग में कर सहायक समूह-सी के रूप में कार्यरत है।
जांच में पता चला कि उसने दो बिचौलियों वीरेंद्र कुमार और देव राज के जरिये सोलन और अर्की क्षेत्र के सात उम्मीदवारों से तीन लाख रुपये लिए थे, जिन्हें एसआइटी पहले ही गिरफ्तार कर चुकी है। दोनों बिचौलियों को उनकी सेवाओं के लिए संदीप से 50,000 रुपये मिले। उम्मीदवारों द्वारा 80-90 प्रतिशत भुगतान ऑनलाइन किया गया था, जबकि कुछ भुगतान नकद में किया गया था।
राजस्थान में भी हुआ आरक्षी परीक्षा का पेपर लीक
पता चला है कि संदीप टेलर की पत्नी रिंकी पूर्वा राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय, सांग्लिया, जिला सीकर में शिक्षक (टीजीटी विज्ञान) के रूप में कार्यरत हैं। कुछ राशि उसके बैंक में भी जमा करवा दी गई। जिससे उसकी भूमिका भी जांच दायरे में है।
सोलन जिले में पेपर लीक में शामिल आरोपियों के पास से अब तक एसआइटी की ओर से 14 मोबाइल फोन और तीन वाहन जब्त किए गए हैं। संदीप टेलर को गिरफ्तार करने के लिए हिमाचल प्रदेश पुलिस की एक विशेष टीम पहले ही राजस्थान के चित्तौड़गढ़ और सीकर में तैनात की जा चुकी है।
हिमाचल प्रदेश के पुलिस महानिदेशक ने एसआइटी को स्थानीय पुलिस की सहायता सुनिश्चित करने के लिए राजस्थान के डीजीपी, एसपी चित्तौड़गढ़ और एसपी सीकर के संपर्क किया है। राजस्थान पुलिस कांस्टेबल परीक्षा में भी पिछले सप्ताह पेपर लीक का मामला सामने आ चुका है।
अब तक हो चुकी है 91 गिरफ्तारी
इस मामले के तार अब तक प्रदेश के 8 जिलों से जुड़ चुके हैं। इसके तहत अभी तक एसआईटी कुल 91 गिरफ्तारियां कर चुकी है। इनमें से 21 आरोपित पुलिस रिमांड पर तो 26 हवालात में बंद हैं। बाहरी राज्यों से 10 और प्रदेश से 81 गिरफ्तारियां की हैं। इनमें 15 एजैंट और बिचौलियों के साथ 63 उम्मीदवार और 3 उम्मीदवारों के पिता भी शामिल हैं। सबसे अधिक 57 गिरफ्तारियां जिला कांगड़ा के अंतर्गत चली जांच के तहत की गई हैं। इसी तरह मंडी से 3, सोलन से 19, ऊना से 1, कुल्लू से 1, बिलासपुर से 3, हमीरपुर से 4 व चम्बा से 3 गिरफ्तारी की गई हैं।
सूत्रों के अनुसार बीते 27 मार्च को हुई कांस्टेबल भर्ती लिखित परीक्षा से पहले ही कुछ जिलों में लीक पेपर की फोटो स्टेट कॉपियां पहुंच गई थीं। इस मामले में गिरफ्तार कुछ आरोपी पहले भी पेपर लीक जैसे मामलों में संलिप्त रहे हैं।