क्यों ख़तरनाक है लम्पी स्किन डिज़ीज़ (lumpy skin disease) – लक्षण, बचाव और उपचार के उपाय

चूँकि देश की एक बड़ी आबादी पशुपालन से जुड़ी हुई है, ऐसे में एक नई बीमारी लम्पी स्किन डिजीज ने पशुपालकों को परेशानी में डाल रखा है। लम्पी स्किन डिजीज देश के 15 से अधिक राज्यों व केंद्र शासित राज्यों तक पहुंच गई है। इस बीमारी से देशभर में 60 हज़ार पशुओं की मौत हो गई है।

इस बीमारी को लेकर लोगों के मन में कई तरह के सवाल है इसलिए हम jogindernagar.com की तरफ़ से आपके कुछ ऐसे ही सवालों के जवाब देने की कोशिश कर रहे हैं। मसलन, यह बीमारी क्या है, कैसे फैलती है, इसके लक्षण व बचाव का सही तरीका क्या होता है, आदि।

क्या है लम्पी स्किन डिज़ीज़?

ढेलेदार त्वचा रोग (LSD, Lumpy Skin Disease) मवेशियों में पॉक्सवायरस लम्पी स्किन डिजीज वायरस (एलएसडीवी) के संक्रमण के कारण होता है। यह वायरस कैप्रिपोक्सवायरस(capripoxvirus) प्रजाति के तीन मुख्य और एक दूसरे से निकट सम्बन्धी वायरसों में से एक है। अन्य दो वायरस हैं तीन निकट से संबंधित प्रजातियों में से एक है। अन्य दो प्रजातियां हैं शीप पॉक्स वायरस(sheeppox) और गोटपॉक्स(goatpox) वायरस।

लम्पी स्किन डिज़ीज़ के लक्षण और कारण

लम्पी स्किन डिज़ीज़ में शरीर पर, खासकर सिर, गर्दन, और जननांगों के आसपास गांठें बनने लगती हैं। धीरे-धीरे ये गांठे बड़ी होने लगती हैं और घाव बनती जाती हैं। लम्पी स्किन डिज़ीज़ वायरस मक्खी और मच्छर जैसे खून चूसने वाले जीवों के माध्यम से मवेशियों में आसानी से फैलता है। साथ ही ये दूषित/झूठे पानी, लार और चारे के माध्यम से भी एक-दूसरा मवेशी में फैलता है।

लम्पी स्किन डिज़ीज़ से ग्रसित पशु

लम्पी स्किन डिजीज से ग्रसित पशुओं को तेज बुखार हो जाता है और दुधारु पशु दूध देना कम कर देते हैं। मादा पशुओं का गर्भपात हो जाता है और हालत गंभीर होने पर पशु की मौत भी हो जाती है।

आयुर्वेदिक पद्धति – कुछ ऑनलाइन स्रोतों के अनुसार लम्पी स्किन डिजीज का उपचार आयुर्वेदिक पद्धति से भी सम्भव है। इसके लिए हमने ऐसी ही एक पोस्ट का लिंक यहाँ पर शामिल किया है हालाँकि jogindernagar.com इस विधि या उपचार के लाभ या हानि के बारे में कोई दावा नहीं करता है। लिंक पर जाने के लिए यहाँ क्लिक करें

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