जिला कुल्लू की ऐतिहासिक राजधानी रही नग्गर के जगती पट्ट में शुक्रवार को देव संसद का आयोजन किया गया। इस देव संसद में 250 से अधिक देवी-देवताओं ने भाग लिया। वहीं पहली बार मंडी जिला के स्नोर घाटी, लाहुल घाटी के देवताओं ने भी इस जगती में शिरकत की।
जगती के दौरान सभी देवी-देवताओं ने स्पष्ट किया कि धार्मिक स्थलों को धार्मिक ही रहने दें और इसे बिलकुल भी पर्यटन स्थल न बनाया जाए। इसके अलावा देव स्थलों में भी जो छेड़छाड़ की जा रही है। उससे भी देवी-देवता खासे नाराज है।
ऐसे में सभी देवी-देवताओं को आने वाला समय प्रलय का नजर आ रहा है। अगर इनसान समय पर अपनी गलती स्वीकार नहीं करता है, तो उसे आने वाले दिनों में इसका खामियाजा भुगतना होगा।
इसके अलावा सडक़ों पर जो गोमाता का तिरस्कार हो रहा है। इससे भी देवी-देवताओं पर बोझ बढ़ रहा है और दुनिया प्रलय की ओर बढ़ रही है।
भगवान रघुनाथ के कारदार दानवेंद्र सिंह ने बताया कि देवी-देवताओं ने इस जगती में स्पष्ट किया है कि देव नीति में राजनीति बिलकुल भी न लाई जाए। देवताओं ने नाराज होते हुए कहा कि आज इनसान देवी-देवताओं से बड़ा हो गया है और देव नियमों का हर जगह उल्लंघन हो रहा है।
ढालपुर मैदान में भी आए दिन छेड़छाड़ की जा रही है और देव स्थान को भी अपवित्र किया जा रहा है। ऐसे में जल्द से जल्द इन सभी चीजों पर रोक लगनी चाहिए।
कारदार दानवेंद्र सिंह ने कहा कि देवी-देवताओं ने इसमें साफ किया है कि प्राकृतिक आपदा से बचाव के लिए अब यहां पर महायज्ञ किया जाना चाहिए और देवी-देवताओं को भी मिलकर प्रसन्न करना चाहिए।
ऐसे में अब सभी देवी-देवताओं की राय के बाद जल्द ही महायज्ञ का आयोजन किया जाएगा।
एक महायज्ञ नगर के जगती पट्ट में किया जाएगा और दूसरा महायज्ञ ढालपुर मैदान में किया जाएगा। भगवान रघुनाथ के छड़ीबरदार महेश्वर सिंह ने कहा कि देवी-देवताओं ने साफ कहा है कि अगर गाय सड़कों पर बेसहारा घूमती है। इससे भी धरती पर पाप बढ़ रहा है और लोगों का जीवन संकट में पड़ रहा है।
इसके अलावा आए दिन ढालपुर मैदान के साथ जो छेड़छाड़ की जा रही है। उससे भी घाटी के देवी-देवता नाराज हैं। उन्होंने कहा कि जगती में महायज्ञ के अलावा काहिका यज्ञ के भी देवताओं ने निर्देश दिए, लेकिन काहिका यज्ञ यहां पर नहीं किया जाएगा, क्योंकि बार-बार कुछ लोगों द्वारा ढालपुर मैदान से छेड़छाड़ की जा रही है।
ऐसे में देवी-देवताओं से प्रार्थना की गई कि जो भी ढालपुर मैदान से छेड़छाड़ कर रहा है, उसे सद्बुद्धि दें और अगर वह देव नियमों की पालना नहीं करता है। तो देवता उसे स्वयं दंडित करें।
वहीं जिला मंडी की स्नोर घाटी से आए माता तुंगा के पुजारी इंद्र सिंह ठाकुर ने कहा कि वह पहली बार जगती में भाग लेने आए हैं और देवी-देवताओं के निर्णय को वह स्वीकार करते हैं।
उन्होंने कहा कि देवी-देवताओं ने स्पष्ट कहा है कि इनसान आज अपनी मर्यादा को भूल रहा है जिस धरती पर पाप बढ़ रहे हैं। ऐसे में देवी-देवताओं द्वारा जो आदेश जनता के लिए दिए गए हैं।
उसका अक्षरश: पालन करना चाहिए, क्योंकि देव वाणी कभी भी असत्य नहीं होती है और देवताओं के नाराज होने के चलते लोगों को प्राकृतिक आपदा का सामना करना पड़ेगा।
जगती में देवता कुई कांडा नाग ने लिया भाग
पहली बार जगती में भाग लेने आए देवता कुई कांडा नाग के गुर विनोद ठाकुर ने बताया कि उन्हें भी जगती में भाग लेने का निमंत्रण मिला था और वह भी यहां पर पहुंचे हैं।
यहां पर सभी देवी-देवताओं ने एक स्वर में प्राकृतिक आपदाओं से बचाव के लिए महायज्ञ करने की निर्देश दिए हैं। ऐसे में आने वाले समय में देवी देवताओं के आदेशों का पालन किया जाएगा।






























