बिलासपुर (मुकेश गौतम): विश्व विख्यात शक्तिपीठ श्री नैना देवी जी में दिन रात इस प्राचीन कुण्ड में हवन चलता है परन्तु यह प्राचीन हवन कुण्ड बहुत ही रहस्यमयी और चमत्कारिक है. ये दुनिया का पहला ज्वलंत हवन कुण्ड है जिसमें जितना मर्जी हवन करते जाओ मगर शेष यानि कि राख को बाहर नहीं निकालना पड़ता. धीरे-धीरे सारी राख, विभूति इसी में समा जाती है. हालांकि हैरान करने वाली बात तो ये है कि ये हवन कुण्ड मात्र एक फुट गहरा है और आम दिनों में या नवरात्रों में हर समय यहां हवन चलता है. ट्रक भर-भर कर लकड़ी के आते हैं परन्तु इसकी राख कहां समा जाती है ये एक रहस्य है.
बताया जा रहा है कि मां नैना देवी के चमत्कार के चलते ही आज के इस वैज्ञानिक युग में भी लोग दैवीय शक्तियों को मानते हैं और उन पर विश्वास करते हैं. यह कुंड लगातार 1200 सालों से दिवाली के उपलक्ष्य पर लगातार दो दिन दुर्गा सप्तशती का हवन यानि सत चंडी महायज्ञ चलता हैं. सालों से ये परम्परा चलती आ रही हैं जिसे आज भी यहां के पुजारी पीढ़ी दर पीढ़ी निभाते आ रहे हैं. यहां के 200 से अधिक पुजारी दिवाली के दिन हवन करते हैं.
ये हवन विश्व कल्याण हेतु विश्व शांति हेतु करवाया जाता है लेकिन इस बार सहीद सैनिकों की आत्म शांति के लिए और बॉर्डर पर तैनात वीर जवानों की सुरक्षा के लिए भी आहुतियां डाली गई. मंदिर के पुजारी का कहना है कि इस हवन कुण्ड में हवन करने का फल घर में हवन करने से एक हजार गुणा अधिक है और पंजाब ,हरियाणा ,हिमाचल, दिल्ली के कई बड़े-बड़े राजनेता चुनावों में जीत के लिए और स्वस्थ्य लाभ के लिए यहां हवन करते हैं चाहे कोई नेता हो ,खिलाड़ी हो या फिर फिल्म स्टार या मशहूर गायक हर कोई समय-समय पर यहां हवन करने पहुंचते है और मां श्री नैना देवी सबकी मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं.
स्रोत : पंजाब केसरी