12 साल की उम्र में रचा इतिहास, लिख डाला 300 पन्नों का नॉवेल

धर्मशाला: कहते हैं सपनों की उड़ान बहुत ऊंची होती है और अगर हौसला बुंलद हो, तो हर मुश्किल को पार करके सपने तक पहुंचा जा सकता है। ऐसा ही कुछ हिमाचल में एक 12 साल की उम्र में एक लड़के ने कर दिखाया।

8वीं कक्षा के आर्यमन महाजन ने ऐसा इतिहास रचा जो हर किसी के दांतों तले अंगुली दबाने को मजबूर कर दे। बताया जाता है कि एक ओर जहां वर्तमान समय में बच्चे आधुनिक गैजेटमें ही मशगूल रहते हैं, वहीं आर्यमन ने एक नोबल लिखकर सबको हैरत में डाल दिया है।

आर्यमन महाजन ने ‘दि यंग डिटेक्टिव’ नाम का लिखा नोबल

धर्मशाला के श्यामनगर के रहने वाले आर्यमन महाजन ने ‘दि यंग डिटेक्टिव’ नाम का नॉवेल लिखा है। आर्यमन ने 300 पन्नों का एक रोचक उपन्यास लिख कर इतिहास में अपना नाम सुनहरी अक्षरों से दर्ज करवा लिया है। इंगलैंड की विख्यात लेखिका एनिड मैरी ब्लिटन से प्रभावित आर्यमन ने ‘दि यंग डिटेक्टिव: स्प्रिचुएलिटी एंड रियेलिटी’ शीर्षक से रोचक उपन्यास लिखा है। इसे अमेरिका के एक पब्लिकेशन ने प्रकाशित किया है। इसी हफ्ते आर्यमन का उपन्यास चेन्नई के नोशन पब्लिकेशन से भी प्रकाशित होकर आ रहा है।

7 साल की उम्र में शुरू किया था लिखना

बताया जाता है कि आर्यमन को लिखने का शौक अपने पिता से ही मिला है। उन्होंने 7 साल की उम्र में ही लिखना शुरू कर दिया था। उसके परिवार में उसके माता-पिता, छोटी बहन और दादा-दादी रहते हैं। वह बैडमिंटन खेलने का शोक रखते हैं और जिला स्तरीय प्रतियोगिता में भी भाग ले चुके हैं। आर्यमन के पिता डा. आशीष महाजन की मानें तोआर्यमन द्वारा इस कीर्तिमान को हासिल करना उनके लिए गर्व की बात है। उन्होंने आशा की है किआर्यमन उनके नाम को और भी ज्यादा रोशन करेंगे। आर्यमन की माता डा. ईशमप्रीत की मानें तो उन्हें अपने बेटे पर गर्व है। आर्यमन की सोच अन्य बच्चों से काफी अलग है। आर्यमन किसी भी चीज के लिए जिद्द नहीं करता हैं।

अगले नोबल का थीम द वल्र्ड थू्र अ चाइल्ड आइज

आर्यमन की मानें तो उन्होंने अपने अगले नोबल काथीम भी सोच लिया है। आर्यमन के अनुसार उनका अगला नोबल द वर्ल्ड थ्रू अ चाइल्ड आइज रहेगा। छोटी सी उम्र में बच्चों में कौन-कौन से डर होतेहैं तथा जब वह धीरे-धीरे बड़े होते हैं, उनकी सोच में किस तरह के बदलाव आते हैं, उनके बारे में उस नोबल में लिखा जाएगा।