कुछ दिन पहले ही हिमाचल में न्यायिक सेवा की लिखित परीक्षा का परिणाम सामने आया है। इस परिणाम ने सबको चौंका दिया है। ये खबर बेटियों को अकसर कम आँकने वाले समाज के लिए करारा जवाब है क्योंकि इस बार बेटियों ने किसी सामान्य परीक्षा में नहीं बल्कि न्यायपालिका जैसी सबसे प्रतिष्ठित और कठिन परीक्षा में सफलता हासिल की है।
सफलता भी ऐसी कि कुल 19 पदों में से 16 पदों पर बेटियां चयनित हुई है। यह उपलब्धि न केवल प्रदेश के लिए गर्व का विषय है, बल्कि पूरे देश के लिए प्रेरणा का स्रोत भी बन गई है।
और सबसे अहम बात ये बेटियां किसी बड़े घराने की नहीं बल्कि आम परिवारों से संबंध रखती हैं। किसी के पिता ड्राइवर हैं तो किसी के घर में हालात तंग लेकिन बावजूद इसके बेटियों ने अपनी मंजिल पा ही ली।
न्यायिक सेवा परीक्षा को देश की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक माना जाता है। यहां केवल ज्ञान ही नहीं, बल्कि धैर्य, परिश्रम और दृढ़ इच्छाशक्ति की भी आवश्यकता होती है। इन 16 बेटियों ने यह दिखा दिया कि अगर संकल्प मजबूत हो तो कोई भी सपना असंभव नहीं।
जोगिन्दरनगर की बेटी उर्वशी

मंडी जिला के विकास खंड चौंतड़ा की ग्राम पंचायत बदेहड़ के मोहन घाटी गांव की उर्वशी ने सिविल जज के पद पर चयनित होकर अपने माता-पिता, गांव और क्षेत्र का नाम रोशन किया है। उर्वशी के पिता सुदेश धीमान व्यास वैली पावर कॉर्पोरेशन ऊहल में सहायक अभियंता के पद पर कार्यरत हैं, जबकि माता प्रेमलता गृहिणी हैं।
उर्वशी की प्रारंभिक शिक्षा राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला ऐहजू से हुई। उसके बाद मैरिट के आधार पर उन्हें शिमला में विधि (लाॅ) की पढ़ाई का अवसर मिला। पढ़ाई पूरी करने के उपरांत उन्होंने जोगिन्दरनगर न्यायालय में निजी प्रैक्टिस भी की।
उसके बाद हिमाचल प्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित प्रवेश परीक्षा, मुख्य परीक्षा और साक्षात्कार को उत्तीर्ण कर उर्वशी का चयन हिमाचल प्रदेश के जिला एवं अधीनस्थ न्यायालय में सिविल जज के रूप में हुआ। उर्वशी ने अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता और गुरुजनों को दिया है।
उर्वशी ने बताया कि उसका बचपन से ही सपना न्यायिक सेवा में जाने का था, जिसे उन्होंने निरंतर मेहनत और अनुशासन के बल पर पूरा किया। उर्वशी के पिता सुदेश धीमान ने कहा कि उनकी बेटी की मेहनत आज रंग लाई है और उसने परिवार के साथ-साथ पूरे क्षेत्र का मान बढ़ाया है।
पद्धर की बेटी सिमरन

हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले की सिमरन ने कठिन परिश्रम और मजबूत इरादों के बल पर सिविल जज बनकर क्षेत्र का नाम रोशन किया है. ग्रामीण परिवेश से संबंध रखने वाली सिमरन ने यह उपलब्धि पहले ही प्रयास में हासिल कर यह साबित कर दिया कि बड़े सपनों को पूरा करने के लिए केवल हौसला और निरंतर मेहनत की आवश्यकता होती है.
द्रंग क्षेत्र के पद्धर की रहने वाली सिमरन का जीवन सरल रहा, लेकिन उनके सपने हमेशा ऊंचे थे. छोटे से गांव से निकलकर उन्होंने शिक्षा को अपनी प्राथमिकता बनाया.
कठिन परिस्थितियों के बावजूद कभी भी लक्ष्य से समझौता नहीं किया. इसी संकल्प का नतीजा रहा कि उन्होंने न्यायिक सेवा जैसी कठिन परीक्षा में सफलता हासिल कर ली.
ऊना की बेटी सिमरजीत कौर

अब आप ऊना की ही बेटी को देख लीजिए- बसदेहड़ा की सिमरजीत कौर साबित कर दिया कि सपनों को साकार करने के लिए हालात नहीं, बल्कि हौंसले मायने रखते है।
पिता पेशे से ट्रक चालक हैं लेकिन बेटी अब न्याय करेगी, सिमरनजीत ने रोजाना 15 घंटे पढ़ाई कर यह परीक्षा पास की, और अपने बचपन के सपने को पूरा किया। सिमरनजीत कौर ने अपनी सफलता का श्रेय अपने पिता अमरीक सिंह व ताया के बेटे इकबाल सिंह सहित अन्य परिवारिक सदस्यों को दिया।
वहीं सिमरनजीत कौर के परिजन भी उनकी इस उपलब्धि पर काफी खुश नजर आ रहे हैं। सिमरन को हर पड़ाव पर अपने परिवार का पूरा साथ मिला इस तरह हिमाचल की एक और बेटी ने भी सरकारी स्कूल से सफर शुरू कर अपनी मंजिल को तलाश लिया है।
महिलाओं का है समय
तो देखिए- हिमाचल की इन नई न्यायाधीशों ने अपनी जीत के साथ यह संदेश पूरे देश को दिया है कि अब समय महिलाओं का है और वे समाज की दिशा व दशा बदलने में अग्रणी भूमिका निभा रही हैं।
सिमरन, उर्वशी की तरह ही, हिमाचल की कीर्ति, मीनाक्षी, महकस प्रियंका, रेणु ,अमीषा, तान्या, ऱश्मि जैसी कुल 16 बेटियों ने कठिन परीक्षा पास की है।
इन 16 बेटियों ने किया साबित
हिमाचल की 16 बेटियों ने यह साबित कर दिया कि पर्वतों की तरह अटल संकल्प से कोई भी मुकाम हासिल किया जा सकता है यह सफलता हिमाचल प्रदेश के शिक्षा स्तर और महिलाओं के बढ़ते आत्मविश्वास का भी आईना है।
ग्रामीण पृष्ठभूमि से लेकर शहरी इलाकों तक की बेटियों ने यह साबित किया है कि अवसर और हिम्मत मिलने पर वे हर ऊँचाई छू सकती हैं।