महामारी से उबरी इकोनॉमी, बेरोजगारी घटी, वित्त मंत्री ने GDP ग्रोथ 6.5% रहने का जताया अनुमान

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को बजट सत्र के दौरान आर्थिक सर्वेक्षण पुया करते हुए दावा किया कि देश की इकॉनामी अब महामारी के दौर से बाहर निकल आई और अब तेजी से आगे बढ़ेगी। सर्वे में वित्त वर्ष 2023-24 के लिए जीडीपी ग्रोथ रेट के 6.5 फीसदी होने का अनुमान लगाया है।

वित्त मंत्री ने कहा कि यह पिछले तीन साल में सबसे धीमी ग्रोथ होगी, बावजूद इसके भारत दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था बना रहेगा। सर्वे के अनुसार,पीपीपी (पर्चेजिंग पावर पैरिटी) के मामले में भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और एक्सचेंज रेट के मामले में पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था।

समीक्षा में कहा गया है कि मार्च 2023 को समाप्त होने वाले वर्ष के लिए अर्थव्यवस्था में सात प्रतिशत की दर से वृद्धि होगी। पिछले वित्तीय वर्ष के दौरान विकास दर 8.7 प्रतिशत रही थी।

समीक्षा के अनुसार वित्त वर्ष 2023 के दौरान भारत के आर्थिक विकास का मुख्य आधार निजी खपत और पूंजी निर्माण रहा है, जिसने रोजगार के सृजन में मदद की है।

निजी पूंजीगत निवेश को नेतृत्व करने की आवश्यकता है, ताकि रोजगार के अवसरों का तेजी से सृजन हो सके। एमएसएमई क्षेत्र में रिकवरी की गति तेज हुई है, जो उनके द्वारा भुगतान किए जाने वाले वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) की धनराशि से परिलक्षित होती है।

उनकी आपात ऋण से जुड़ी गारंटी योजना (ईसीएलजीएस) ऋण संबंधी ङ्क्षचताओं को आसान कर रही है। सरकार का पूंजीगत व्यय वित्त वर्ष 2023 के पहले आठ महीनों में 63.4 प्रतिशत तक बढ़ गया, जो चालू वित्त वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास का प्रमुख घटक रहा है। 2022 के जनवरी-मार्च तिमाही से निजी पूंजीगत व्यय में वृद्धि हुई है।

समीक्षा में महामारी के कारण निर्माण गतिविधियों में आई बाधाओं को रेखांकित किया है। टीकाकरण से प्रवासी श्रमिकों को शहरों में वापस आने में सुविधा मिली है।

इससे आवास बाजार मजबूत हुआ है। यह इस बात से परिलक्षित होता है कि विनिर्माण सामग्री के भंडार में महत्त्वपूर्ण कमी दर्ज की गई है।

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस) के परिणामों ने भी दिखाया है कि वित्त वर्ष 2016 से वित्त वर्ष 2020 तक ग्रामीण कल्याण संकेतक बेहतर हुए हैं, जिनमें लिंग, प्रजनन दर, परिवार की सुविधाएं और महिला सशक्तिकरण जैसे विषयों को शामिल किया गया है।

समीक्षा में कहा गया है कि भारतीय अर्थव्यवस्था महामारी के प्रभावों से मुक्त हो चुकी है और वित्त वर्ष 2022 में दूसरे देशों की अपेक्षा तेजी से पहले की स्थिति में आ चुकी है। भारतीय अर्थव्यवस्था अब वित्त वर्ष 2023 में महामारी-पूर्व के विकास मार्ग पर आगे बढऩे के लिए तैयार है।

चालू वर्ष में हालांकि भारत ने यूरोपीय संघर्ष के कारण हुई मुद्रास्फीति में वृद्धि को कम करने की चुनौती का सामना किया है। सरकार और आरबीआई के द्वारा किए गए उपायों और वैश्विक स्तर पर वस्तुओं की कीमतों में आई कमी से नवंबर, 2022 से खुदरा मुद्रास्फीति को आरबीआई की लक्ष्य-सीमा से नीचे लाने में मदद मिली।

इस प्रकार से वर्ष 2023 में वैश्विक संवृद्धि में गिरावट का अनुमान लगाया गया है और इसके बाद के वर्षों में भी आमतौर पर कमजोर रहने की संभावना है। धीमी मांग की वजह से वैश्विक कमोडिटी की कीमतों में कमी आएगी और वित्त वर्ष 24 में भारत के कैड में सुधार होगा।

चालू वित्तीय वर्ष के 6.8 फीसदी की तुलना में अगले वित्तीय वर्ष में भारत में महंगाई दर पांच फीसदी से नीचे फिसलने की संभावना है। वर्ष 2024 में यह घटकर चार प्रतिशत तक पहुंच सकती है।

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने मंगलवार को यह बात कही है। आईएमएफ के रिसर्च डिपार्टमेंट के डिविजन चीफ डेनियल लीघ ने महंगाई की दर में कमी केंद्रीय बैंक की ओर से उठाए गए कदमों से संभव हो रही है और इसक असर आगे भी जारी रहेगा।

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