डैहनासर – प्राकृतिक सौन्दर्य, रोमांच और धार्मिक आस्था का केंद्र

हिमाचल प्रदेश में अनेक विश्व प्रसिद्ध झीले हैं जो अपने प्राकृतिक सोंदर्य के साथ साथ लोगों के धार्मिक आस्था का भी केंद्र है । ऐसा ही प्राकृतिक सौन्दर्य तथा आस्था का मिला जुला रूप डैहनासर झील के रूप में जिला मंडी के चौहार घाटी के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल बरोट से 6 किलीमीटर की दूरी पर स्थित है. भौगोलिक दृष्टी से डैहनासर झील हिमाचल के जिला कांगड़ा की मुलतान तहसील में स्थित है.

14000 फुट की ऊँचाई पर है स्थित

4,280 मीटर (14,040 फुट) की ऊंचाई पर स्थित डैहनासर झील चारों और से पर्वतों से घिरी है। यह झील बरोट-कुल्लू पैदल (ट्रैकिंग) रास्ते में पड़ती है. डैहनासर झील अधिकतर समय बर्फ से ढकी रहती है । चारों तरफ से ढके पहाड़ों के बीच झील का दृश्य पर्यटकों को भाव विभोर होने पर विवश कर देता है।

धार्मिक आस्था का केंद्र है यह झील

प्राकृतिक सोंदर्य से भरपूर डैहनासर झील के साथ लोगों की भावनाएं भी जुडी है । श्रद्धालुओं के अनुसार माता पार्वती यहाँ पर हर वर्ष भाद्रपक्ष माह की 20 तारीख को स्नान करने आती है। माता पार्वती के दर्शनों की अभिलाषा से हर वर्ष भाद्रपक्ष माह की 20 तारीख को हजारों की संख्या में श्रद्धालु पवित्र स्नान करने यहाँ आतें है । इस पवित्र झील में स्नान करने के उपरांत शरीर में स्फूर्ति व् ताजगी का अनुभव तो होता ही है, साथ में पानी ठंडा होने पर भी ठंड का अहसास नही होता।

मन की मुराद होती है पूरी

यहाँ पर ऐसी मान्यता है कि डैहनासर की पवित्र झील में खड़े होकर सूर्य देव के आराधना करने वाले के मन की मुराद पूरी होती है । जोगिन्दर नगर से घटासनी – बरोट होते हुए पर्यटक लोहारडी नामक स्थान पर पहुंचते हैं जहाँ से डैहनासर झील का रास्ता पैदल पूरा करना पड़ता है।

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