हिमाचल प्रदेश : जिला मंडी के जोगिन्दरनगर स्थित शानन पावर हाउस प्रदेश को वापिस मिलने के बाद हर साल राज्य को 200 करोड़ रुपए कमा कर देगा। इसे पंजाब से लेने के लिए पड़ोसी राज्य की ना-नुकर के बावजूद सुखविंदर सिंह सुक्खू की सरकार ने पूरी तैयारी कर ली है।
मुख्यमंत्री केंद्रीय विद्युत मंत्री आरके सिंह से मिलने दिल्ली भी पूरी तैयारी के साथ गए थे। केंद्रीय मंत्री को राज्य सरकार की तरफ से लीगल ओपिनियन भी उपलब्ध करवा दी गई है। इसमें कई अन्य राज्यों के ऐसे मामले उदाहरण के तौर पर भी बताए गए हैं।
शानन प्रोजेक्ट के लिए मंडी के राजा जोगिंदर सिंह ने 1925 में 99 साल के लिए जमीन लीज पर ब्रिटिश इंडिया को दी थी। पंजाब सरकार के चीफ इंजीनियर कर्नल बीसी बैटी के साथ यह एग्रीमेंट हुआ था। यह अवधि अगले साल पूरी हो रही है।
भारत सरकार ने पंजाब रीऑर्गेनाइजेशन एक्ट 1966 में इस बिजली प्रोजेक्ट की मैनेजमेंट के लिए इसे पंजाब सरकार को ट्रांसफर किया था।
अब पड़ोसी राज्य पंजाब इसी नोटिफिकेशन के बहाने यह तर्क दे रहा है कि शानन प्रोजेक्ट सिर्फ लीज का मसला नहीं है, बल्कि पंजाब रीऑर्गेनाइजेशन एक्ट का एक हिस्सा है,
जिसे पंजाब को दिया गया है।
हिमाचल सरकार ने केंद्रीय मंत्री को इस बारे में रिकॉर्ड के साथ लीगल ओपिनियन भी उपलब्ध करवाई है। दरअसल ब्रिटिश इंडिया की उत्तराधिकारी अब भारत सरकार है, जबकि मंडी के राजा की उत्तराधिकारी हिमाचल सरकार है।
इसलिए लीज पर दी गई प्रॉपर्टी की ऑनरशिप ट्रांसफर नहीं हो सकती। यह सबसे बड़ा कारण है कि हिमाचल सरकार शानन प्रोजेक्ट के संभावित झगड़े को लेकर कोर्ट नहीं जाना चाहती।
यह भी संभव है कि इस प्रोजेक्ट को लीज अवधि पूरा होने के बाद वापस लेने के लिए जूरिडिक्शन अधिकारों का इस्तेमाल किया जाए।
हिमाचल सरकार चाहती है कि यदि कोर्ट में मामला जाना है, तो पंजाब सरकार जाए। इससे पहले राज्य सरकार केंद्रीय ऊर्जा मंत्री और पंजाब सरकार के मुख्यमंत्री भगवंत मान को भी इस बारे में अलग-अलग पत्र लिख चुकी है।
इस पत्र के बाद ही पंजाब के ऊर्जा मंत्री ने शानन प्रोजेक्ट का दौरा किया और वहां रिपेयर इत्यादि के अतिरिक्त काम शुरू किए। इन सभी संकेतों को हिमाचल सरकार समझ रही है और इसीलिए भारत सरकार को समय पर फैसला लेने के लिए अपने साथ लिया जा रहा है।
पंजाब के बिजली बोर्ड को शानन प्रोजेक्ट इसलिए ट्रांसफर हुआ था, क्योंकि 1966 में हिमाचल में बिजली बोर्ड नहीं था।
अब स्थितियां भिन्न हैं। दूसरी सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि सुखविंदर सिंह सुक्खू की सरकार अतिरिक्त राजस्व के किसी भी स्रोत को छोडऩा नहीं चाह रही है। ऐसे में शानन बिजली प्रोजेक्ट हर साल 200 करोड़ हिमाचल सरकार को देगा।
ऐसे 110 मेगावाट हुआ शानन प्रोजेक्ट
जोगिन्दरनगर में ऊहल नदी पर बना शानन प्रोजेक्ट अंग्रेजों के समय 1932 में सिर्फ 48 मेगावाट का था। इसके बाद पंजाब सरकार ने इसकी कैपेसिटी को बढ़ाया। पहले इसे 1982 में 60 मेगावाट किया गया।
फिर 50 मेगावाट और जोड़े गए। इसकी कमीशनिंग इनकी घोषणा भी 1932 में तत्कालीन वायसराय ने लाहौर से की थी। यही बिजली प्रोजेक्ट सबसे बड़ा कारण है कि कांगड़ा की नैरो गेज रेल लाइन जोगिन्दरनगर तक पहुंचाई गई थी।