पंचायत या शहरी निकाय चुनाव से पहले हिमाचल में किसी भी तरह के पुनर्गठन पर अब रोक लग गई है। राज्य निर्वाचन आयोग ने संविधान में प्रदत्त शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए चुनाव आचार संहिता के एक प्रावधान को सोमवार से लागू कर दिया है।
मुख्य निर्वाचन आयुक्त अनिल खाची ने यह अधिसूचना जारी की। इसके अनुसार, हिमाचल के गांवों और शहरों में अब किसी भी पंचायत या शहरी निकाय के स्ट्रक्चर, क्लासिफिकेशन या एरिया में किसी भी तरह का बदलाव नहीं होगा।
यह रोक तब तक लगाई गई है, जब तक राज्य निर्वाचन आयोग चुनाव की प्रक्रिया पूरी करने की अधिसूचना न जारी कर दे।
इसके पीछे कारण बताते हुए निर्वाचन आयोग ने कहा है कि हिमाचल में नई पंचायतों के गठन के लिए अब 75 दिन और शहरी निकायों के लिए 60 दिन का समय शेष बचा है। इसका अर्थ यह हुआ कि राज्य निर्वाचन आयोग तय शेड्यूल पर ही चुनाव करवाना चाहता है।
दूसरी तरफ राज्य सरकार ने डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट के तहत ऑर्डर जारी कर इसे टाल रखा है। पिछली कैबिनेट में राज्य सरकार ने पंचायतों में नए पुनर्गठन को भी मंजूरी दे दी थी।
राज्य निर्वाचन आयोग की इस अधिसूचना के बाद अब यह पुनर्गठन नहीं हो पाएगा। अपनी अधिसूचना में राज्य निर्वाचन आयोग ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला भी दिया है, जो पंजाब सरकार बनाम बेअंत कुमार एवं अन्य की जजमेंट में दिया गया है।
इसमें सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि पंचायती राज चुनाव की अवधि खत्म होने के छह महीने पहले चुनाव की प्रक्रिया शुरू होनी चाहिए।
3548 पंचायतों, 70 शहरी निकायों की वोटर लिस्ट तैयार
निर्वाचन आयोग ने कहा है कि हिमाचल में अभी 3548 ग्राम पंचायतों की मतदाता सूचियां बन चुकी हैं और 70 शहरी निकायों की वोटर लिस्ट भी फाइनल हो गई है।
शेष बची 29 ग्राम पंचायतों और एक शहरी निकाय की वोटर लिस्ट पहली और सात दिसंबर को फाइनल हो जाएगी। यह चुनाव 3570 ग्राम पंचायतों, 90 पंचायत समितियों, 11 जिला परिषदों और 71 शहरी निकायों के लिए होंगे।
किसका, कब पूरा होगा कार्यकाल?
पंचायती राज संस्थाएं 31 जनवरी, 2026
50 शहरी निकाय 18 जनवरी, 2026
04 नगर निगम 13 अप्रैल, 2026
(धर्मशाला, पालमपुर, मंडी और सोलन)
पांच नगर पंचायतें 16 अप्रैल, 2026
(अंब, चिडग़ांव, कंडाघाट, नेरवा, निरमंड)































