इस बार चार युद्ध जीत कर देवताओं ने पाई विजय

भाद्रमास में देव और आसुरी शक्तियों के बीच कई दिन तक चला युद्ध समाप्त हो गया है जिसमें इस बार देवताओं की जीत हुई है। देवताओं की जीत होने पर यह वर्ष जनमानस के लिए अच्छा रहेगा तथा ज्यादा आपदाएं घटित नहीं होंगी। करीब दो वर्षों बाद देवताओं की जीत के बाद यह वर्ष जनमानस के लिए बड़ी राहत लेकर आया है।

माता के गुर भविष्वाणी करते हुए

माता के गुर ने की भविष्वाणी

हालांकि, फसलें इत्यादि कई जगह सामान्य, तो कई जगह कम होंगी। इस बात की देववाणी मंडी जिला के तुंगल क्षेत्र के प्रसिद्ध शक्तिपीठ माता बगलामुखी मंदिर सेहली में 69वीं वार्षिक जाग के दौरान माता ने अपने गुर के माध्यम से की है।

माता बगलामुखी के गुर अमरजीत शर्मा ने माता की पूजा-अर्चना की तथा उसके बाद मां के द्वारा बताए गए आदेशानुसार पूजा पद्धति को पूर्ण किया। अद्र्धरात्रि को माता के गुर ने अनेक प्रकार की देववाणी करके भक्तों का मार्ग दर्शन किया।

कुल हुए 7 युद्ध

उन्होंने देववाणी में बताया कि इस बार भी देवताओं और डायनों के बीच सात युद्ध विभिन्न क्षेत्रों में हुए, जिसमें पहला युद्ध समुद्र के टापू पर तथा अंतिम युद्ध घोघरधार नामक स्थान पर हुआ।

उन्होंने बताया कि देवी-देवता आषाढ महीने की शैण-देवी एकादश को युद्ध के लिए अपने स्थानों से प्रस्थान करते हैं। इस बार चार युद्धों में देवता तथा तीन स्थानों पर डायना जीतीं, जिस कारण देवताओं की जीत बताई गई।

माता की जाग में ठाकुर संगीत मंडली साईगलू के कलाकार हुकम चंद ठाकुर एवं लता ठाकुर ने एक से बढक़र एक भेंट गाकर मां की महिमा का गुणगान किया और श्रद्धालुओं को झूमने पर विवश कर दिया।

भक्तों की रक्षा करती हैं बगलामुखी मां

माता बगलामुखी के गुर अमरजीत शर्मा ने बताया कि देवता और डायनों के बीच युद्ध की भविष्यवाणी कुछेक मंदिरों में ही की जाती है, जिसमें बगलामुखी मां का मंदिर प्रसिद्ध है।

मां का दस महाविद्याओं में आठवां स्थान है। मां हमेशा अपने भक्तों की रक्षा करती है। कलयुग में तत्काल प्रभाव देने वाली देवी मानी गई है और भविष्य में होने वाली आपदाओं के बारे में अवगत करती है।

माँ चतुर्भुजा

उधर जोगिन्दरनगर उपमंडल के तहत रविवार को नागपंचमी के अवसर पर जोगिन्दरनगर उपमंडल के तहत बसाही धार में स्थित माँ  चतुर्भुजा मंदिर में देवताओं और डायनों के मध्य हुए युद्ध का परिणाम सुनाया गया.

इस बार देवताओं की जीत हुई है तथा लागत पर विभिन्न गाँवों के लोग लगाए गए हैं. कई तो पूरे के पूरे गाँव,बाज़ार व जमीन ही लागत पर हैं.

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