भानुपल्ली-बिलासपुर-बेरी, नई ब्रॉडगेज रेललाइन के लिए जारी भूमि अधिग्रहण की अधिसूचना समय पर अंतिम रूप न दिए जाने के चलते रद्द हो गई।
मुख्य न्यायाधीश एमएस रामचंद्र राव व न्यायाधीश सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने प्रारंभिक अधिसूचना के 12 महीनों के पश्चात अधिग्रहण प्रक्रिया को अंतिम रूप दिए जाने वाली दूसरी यानी आखिरी अधिसूचना को कानून के विपरीत पाते हुए रद्द कर दिया व एकल पीठ के फैसले को पलट दिया।
एकल पीठ ने याचिका को खारिज करते हुए पहली मार्च, 2023 को जारी इस अधिसूचना को प्रारंभिक अधिसूचना जारी होने की तारीख से 12 महीने के पश्चात जारी होने के पश्चात भी कानूनी मान्यता दे दी थी।
पहली मार्च, 2023 को जारी इस अधिसूचना के तहत यह घोषणा की गई थी कि सार्वजनिक प्रयोजन के लिए अर्थात् भानुपल्ली-बिलासपुर-बेरी, नई ब्रॉडगेज रेलवे लाइन के निर्माण के लिए अधिग्रहण के तहत 125-4 बीघे यानी 9.42 हेक्टेयर भूमि की आवश्यकता है।
अपीलकर्ताओं की यह दलील थी कि वह कृषक और भूमिधारक हैं, जिनकी भूमि और मकान को ब्रॉडगेज रेलवे लाइन भानुपल्ली-बिलासपुर-बेरी के निर्माण के लिए सरकार द्वारा रेल विकास निगम लिमिटेड के हित में अधिग्रहित किया जा रहा है।
अपीलकर्ताओं का यह तर्क था कि भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास और पुनस्र्थापन में उचित मुआवजा और पारदर्शिता का अधिकार अधिनियम, 2013 की धारा 19 (7) के तहत जारी घोषणा, धारा 11 (1) के तहत प्रारंभिक अधिसूचना की तारीख से 12 महीने के भीतर जारी की जानी चाहिए।
मौजूदा मामले में धारा 11(1) के तहत प्रारंभिक अधिसूचना की तारीख 19 फरवरी, 2022 थी, लेकिन अधिनियम की धारा 19(1) के तहत घोषणा की तारीख पहली मार्च, 2023 थी। इस कारण उक्त कार्यवाही निरस्त की जानी चाहिए।
खंडपीठ ने इस विषय में पारित फैसलों के अवलोकन करने के पश्चात अपील स्वीकार कर ली और रिट याचिका को खारिज करने वाले एकल पीठ के निर्णय को रद्द कर दिया। खंडपीठ ने स्पष्ट किया कि उक्त रिट याचिका को केवल याचिकाकर्ताओं की भूमि और घरों के संबंध में स्वीकार किया जाता है।