हिमाचल में आठ दिसंबर को मतगणना के बाद आने वाली नई सरकार को आते ही लोन उठाने पर फैसला लेना होगा। इसकी वजह यह है कि दिसंबर महीने के लिए 2700 करोड़ लोन लेने की लिमिट बकाया बची है और सरकार को भी अपना काम चलाने के लिए पैसे की जरूरत है। यही वजह है कि नई सरकार आते ही इस बारे में फैसला लेगी।
दरअसल, भारत सरकार ने इस साल का 31 दिसंबर के लिए 9700 करोड़ की लोन लिमिट स्वीकृत की है और इसमें से 7000 करोड़ राज्य ले चुका है। अब 31 दिसंबर से पहले 2700 करोड़ में से लोन लिया जा सकता है। यही वजह है कि आठ दिसंबर को नई सरकार के सामने आने के बाद लोन उठाने पर फैसला होगा।
इसके बाद जनवरी से मार्च तक की इस साल की आखिरी तिमाही के लिए भारत सरकार से लोन की अलग से अनुमति आएगी। इन तीन महीनों के समय में भी राज्य सरकार को करीब 2700 करोड़ लोन और लेना होगा, तभी नई सरकार की नई कैबिनेट लोगों को खुश करने वाले फैसले ले पाएगी।
नई सरकार राज्य के कर्मचारियों को लंबित सात फीसदी महंगाई भत्ते की एक किस्त देना चाहेगी। राज्य का वित्त विभाग भी इसी तरह की तैयारी कर रहा है। यह भी संभव है कि नहीं सरकार वेतन आयोग के एरियर की अगली किस्त पर कोई फैसला ले ले। यही वजह है कि वित्त विभाग को अपने कोषागार में धन का इंतजाम रखना है।
नवंबर के आखिरी हफ्ते में भारत सरकार से जीएसटी कंपनसेशन के तौर पर 226 करोड़ आए हैं और उसके बाद अब लोन से आने वाले पैसे का इंतजार है। आठ दिसंबर की मतगणना के बाद सरकार चाहे कांग्रेस की आए या भाजपा की, दोनों ही दलों ने कर्मचारियों या समाज के अन्य वर्गों को राहत देने के लिए वादे चुनाव घोषणा पत्रों में कर रखे हैं।
इन वादों को पूरा करने के लिए पैसे की जरूरत है और यह पैसा सिर्फ लोन के माध्यम से ही आता है। वित्त विभाग को इसी दिसंबर महीने में लोन की बकाया राशि में से धन लेना है और इसकी अनुमति नई सरकार से ही मिलेगी।