मल्टीटास्क भर्ती में सीएम के विशेषाधिकार पर रोक

हिमाचल के शिक्षा विभाग में हो रही पार्ट टाइम मल्टीटास्क वर्कर की नियुक्तियां अब क्लॉज-18 के तहत नहीं होंगी। यही वह क्लॉज था, जिसमें करुणामूलक के नाम पर मुख्यमंत्री के पास नियुक्ति का विशेषाधिकार था। गुरुवार को हाई कोर्ट में केस की सुनवाई के दौरान प्रदेश के महाधिवक्ता अशोक शर्मा ने उच्च न्यायालय को बताया गया कि सरकार पार्ट टाइम मल्टीटास्क वर्कर की नियुक्ति से संबंधित नीति के क्लॉज-18 में संशोधन करने के लिए विचार कर रही है।

फिलहाल, गुरुवार से आगे  की नियुक्तियां क्लॉज-18 के तहत नहीं की जाएगी। ऐसी नियुक्तियां क्लॉज-7 के तहत की जाएगी। क्लॉज-7 में ही विधवाओं, अत्यंत गरीबों, पतियों द्वारा परित्यक्त महिलाओं और बेंचमार्क विकलांग व्यक्तियों व अनाथों को लाभ देने के उद्देश्य से नीति में प्रावधान बनाया जाएगा।

क्लॉज-18 के तहत नियुक्ति दिए जाने से जुड़े मामले में प्रदेश महाधिवक्ता के वक्तव्य के पश्चात मुख्य न्यायाधीश मोहम्मद रफीक और न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने कहा कि अब इस मामले में कोई अंतरिम आदेश पारित करने की आवश्यकता नहीं है। अब इस मामले को 16 मार्च, 2022 को सूचीबद्ध किया गया।

गौरतलब है कि राज्य सरकार सरकारी स्कूलों में मल्टीटास्क वर्कर के 8000 पद भरने जा रही है और इनमें से 4000 पद करुणामूलक आवेदकों से भरे जाने थे। लेकिन यह प्रावधान शुरू से ही विवादित हो गया था।

सबसे पहले मंडी जिला के बगसयाड शिक्षा खंड से इस बारे में हाई कोर्ट में केस आया था। इस मामले में हाई कोर्ट ने क्लॉज-18 के बजाय क्लॉज-7 में भर्ती करने को कहा था। बाद में करीब 70 अलग-अलग याचिकाएं हाई कोर्ट पहुंच गई और पॉलिसी पर बहस शुरू हो गई।

अब सरकार को पहले इस भर्ती नीति में थोड़ा संशोधन करना होगा और उसके बाद एसडीएम की अध्यक्षता वाली कमेटी यह आवेदन लेना शुरू करेंगी।

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