हिमाचल प्रदेश में सेब सीजन शुरू हो चुका है, लेकिन बागबान सेब में लगे रोग से चिंतित हैं। पिछले साल सेब की पत्तियों में अत्यधिक बारिश की वजह से रोग लगा था और इस बार सूखे की वजह से रोग लग गया है, जिससे बागबानों की परेशानी बढ़ गई है।
बताया जाता है कि इससे मध्यम ऊंचाई वाले क्षेत्रों और अधिक ऊंचाई वाले क्षेत्रों में सेब पर ज्यादा मार पड़ी है। ऐसे में सेब का साइज नहीं बन पा रहा है और क्वालिटी खराब हो रही है। ऐसा ही चलता रहा तो आने वाले दिनों में सेब की पैदावार पर इसका पूरा असर दिखाई देगा।
बागबानी विभाग की मानें तो इस बार पहले से ज्यादा सेब होगा, परंतु बागबान इससे इनकार कर रहे हैं। उनका कहना है कि इस बार सूखे ने सेब की पत्तियों को नुकसान पहुंचाया है।
पत्तियों में तीन तरह की बीमारियां लग गई हैं, जिससे पत्ते पीले पड़ रहे हैं। इसमें एंफ्राक्रोज, बलाइट और अल्टरनेरिया जैसी बीमारियों ने अटैक किया है। इस समय बागबानों के पास दवाइयों के छिडक़ाव का भी समय नहीं है, क्योंकि तब तक सेब सीजन निकल जाएगा।
बड़े बागबान भी इन बीमारियों से चिंतित हैं, जिनका मानना है कि पिछली बार बारिश में ऐसी बीमारियां लगी थीं मगर इस बार सूखे से बीमारियां लगी हैं। खासकर 5 हजार से 7 हजार फुट की ऊंचाई वाले क्षेत्रों में जो सेब के बागीचे हैं, वहां पर सेब को नुकसान हो चुका है।
सेब का सीजन पहले ही लेट हो चुका है जिसपर अब पत्तियों में आई इन बीमारियों की वजह से सीजन में और देरी होगी। यानी सामान्य तौर पर सेब सीजन शुरू होने में अभी समय लगेगा। वैसे अधिकारिक रूप से सेब का सीजन शुरू हो चुका है और मंडियों में स्पर वैरायटी भी पहुंच चुकी है।
इसके साथ गाला सेब ने भी दस्तक दे दी है, मगर अन्य वैरायटी के सेब में अभी समय लगेगा, क्योंकि पत्तियों का पीलापन दूर करने के लिए बागबानों को छिडक़ाव तो करना ही होगा जिसके लिए उनके पास ज्यादा समय नहीं है।
बागबानों का कहना है कि अबकी बार जो समस्या पेश आ रही है, उससे अगले साल भी बागवानों को जूझना पड़ेगा, क्योंकि यह बीमारी लंबी चलती है।
उनकी मानें तो इस बार सेब की फ्लॉवरिंग भी पहले से काफी कम थी, इस पर अब सूखे की मार पड़ गई है जिससे बागबानों की चिंता बढ़ चुकी है।