अद्भुत देव परंपरा : जब हजारों लोगों के बल से भी नहीं हिला देवरथ

कुल्लू: देवभूमि कुल्लू में अद्भुत देव परंपरा का निर्वहन किया जाता रहा है। इन प्राचीन देव परंपरा को देखकर हर कोई अचंभित हो जाता है। ऐसी ही एक देव परंपरा नवसंवत के पावन अवसर पर सिराज घाटी के कोटला गांव में आयोजित हुई। देवता की भव्य रथ यात्रा देवता के मंदिर से माता चवाली के मंदिर तक हुई। सृष्टि रचियता देवता बड़ा छमांहु स्वर्ग लोक से धरती लोक पर लौटे आए हैं। धरती लोक पर लौटते ही देवता ने चवाली माता के साथ भव्य देव मिलन किया। इस देव मिलन के दौरान देवता बड़ा छमांहु माता चवाली के प्रेम प्रसंग में मस्त हो गए।

बड़ा छमांहु की 44 हजार रानियां

बता दें कि देवता बड़ा छमांहु की 44 हजार रानियां हैं और स्वर्ग लोक से लौटते ही वे सर्वप्रथम अपनी रानियों से मिलने जाते हैं। सोमवार को इस देव परंपरा का निर्वहन करते हुए जैसे ही देवता रानियों से मिलने के लिए गए तो तुरंत रानियों ने देवरथ को अपने कब्जे में ले लिया। हजारों लोगों की मौजूदगी में यह दृश्य हुआ और देव मिलन के बाद जब लोगों ने देव रथ को वापस लाना चाहा तो देव रथ एक जगह स्थिर हो गए। इससे देवता के भक्तजनों में देवरथ को लाने की लालसा बढ़ी और देव रथ में रस्सा लगाकर हजारों लोगों ने खींचना शुरू किया लेकिन हजारों लोगों के बल से भी देवरथ नहीं हिला तथा एक जगह स्थिर रहा।

जुठ लगाते ही एकदम छूट गया देवरथ

देव हारियानों ने यह समझ लिया था कि आखिर उनके देवता रानियों के वश में कैद हो चुके हैं। लाख कोशिश करने के बाद भी लोग देवरथ को नहीं खींच पाए और बाद में हारियानों ने उपाय सोचा। देव हारियानों को पता था कि 44 हजार रानियां जो योगनियों का रूप हैं जुठ लगाने से देवता को छोड़ सकती हैं। हारियानों ने देवरथ में बांधे रस्से में जब जुठ लगाई तो देवरथ एकदम छूट गया और जय घोषों के साथ लोगों ने रथ को खींच कर वापस कोटला गांव पहुंचाया, जहां पर सैंकड़ों महिलाओं व अन्य लोगों ने परंपरागत तरीके से देवता का स्वागत किया।

सृष्टि के रचयिता हैं बड़ा छमांहु

माना जाता है कि नव संवत के दिन सृष्टि उत्पन्न हुई थी और देवता बड़ा छमांहु को ही सृष्टि का रचियता माना जाता है। बड़ा छमांहु का अर्थ है 6 समूह देवताओं का एक देव। यानी एक रथ में 6 देवी-देवता वास करते हैं, जिसमें ब्रह्मा, विष्णु, महेश व शेष नाग की शक्ति भी समाहित है। यही कारण है कि जिस दिन सृष्टि उत्पन्न हुई थी उसी दिन देव बड़ा छमांहु भी उत्पन्न होते हैं। इस दिन हजारों लोग देवता के दर्शन के लिए कोटला गांव पहुंचते हैं।

स्रोत : पंजाब केसरी