लडभड़ोल में लोगों की आस्था का प्रतीक है यह माहूनाग मंदिर

हिमाचल देवों की भूमि है. यहाँ के हर मंदिर लोगों की आस्था के प्रतीक हैं. प्रदेश में स्थित प्रत्येक मंदिर के साथ एक कहानी जुड़ी हुई है. लेकिन आज भी कई मंदिर उपेक्षा का शिकार हैं. ऐसे समय में राकेश राणा ने मंदिरों के इतिहास और संस्कृति से लोगों को रूबरू करवाने का बीड़ा उठाया है. राणा का यह प्रयास सराहनीय है. राणा लडभड़ोल क्षेत्र से सम्बन्ध रखते हैं तथा दिव्य दर्शन चैनल के लिए कार्य करते हैं. राणा का कहना है कि लोगों के सहयोग से उनका यह प्रयास अवश्य ही सफल होगा.

संस्कृति के परिचायक हैं ये मंदिर

लडभड़ोल क्षेत्र में स्थित सभी मंदिरों का इतिहास और संस्कृति को जोड़ने का सराहनीय कार्य कर रहे हैं राकेश राणा.  राणा का कहना है कि ये मंदिर हमारी संस्कृति के परिचायक हैं. एक ऐसा ही मंदिर छोटी काशी यानि मंडी जिला की जोगिन्दरनगर तहसील के तहत त्रैम्बली पंचायत के मझेड़ गांव में है।

100 साल पुराना है माहुनाग मंदिर

यह मंदिर महूनाग देवता का है जोकि सौ साल पुराना है। इस मंदिर में जो पहली पुजारन मंगसरू देवी का देहांत हो गया है।  जानकारी के अनुसार मंगसूरू देवी महूनाग देवता के मंदिर में साधना करती थी। और हमेशा मंदिर में बैठती थी। जो लोगों को को बुरी बलाओं और शक्तियों से बचाती थी।

मंदिर में विराजमान है ढोल और रसिंहा

जिनके अनुसार वो नाग देवता समस्त लडभडोल और जोगिंद्रनगर क्षेत्र में आज भी महिलाएं दूर दूर से मन्नत मांगने के लिए आती है। मंदिर में एक बड़ा ढोल है। ढोलकी है। रसिंहा है। ऐसे प्राचीनकाल की कई प्रसिद्ध यंत्र है। आज जब भी किसी के घर में जागरण हो या शादी हो तो ज्यादातर मंदिर में ले जाते हैं। बदलते समय और लोगों की व्यस्तता के कारण धर्म के कार्यक्रमों में और मंदिर में लोगों का आना जाना -कम हो गया है।

मंदिर में जरूर लें आशीर्वाद

राकेश राणा ने सभी लोगों से अपील की है कि इन एतिहासिक मंदिरों का जरूर भ्रमण करें तथा अपने जरूरी समय से थोड़ा समय देकर महूनाग देवता जी का आशिर्वाद जरूर लें।

 

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