बिना छत का मंदिर : माँ शिकारी देवी

शिकारी देवी : हिमालय की गोद में बसे प्राकृतिक सौन्दर्य से भरपूर करसोग घाटी में स्थित है माँ शिकारी देवी मंदिर. माँ का यह मन्दिर हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले में स्थित है जहाँ चीड़, देवदार और सेब के पेड़ अपनी सुन्दरता से भक्तों का मन मोह लेते हैं.

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पांडवों के समय का है मंदिर

शिकारी माँ का यह मंदिर समुन्द्र तल से 2850 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है. यह देवी का प्राचीन मंदिर पांडवों के समय का है. किवदन्ती के अनुसार यहाँ मंदिर के ऊपर बर्फ नहीं गिरती और न ही यहाँ बर्फ टिकती है. इस मंदिर का वर्णन मार्कंडेय पूराण और महाभारत के ग्रन्थ में मिलता है.

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मार्कंडेय ऋषि ने की थी यहाँ तपस्या

कहा जाता है कि मार्कंडेय ऋषि ने इस स्थान में तप किया था. तपस्या के दौरान यहाँ उनकी इच्छा देवी के दर्शनों की हुई जिन्हें महिषासुर मर्दनी भी कहा जाता है, तथा जिन्होंनें महिषासुर, रक्त बीज, मधु कैटभ आदि राक्षसों का संहार बिना किसी की सहायता के किया था. यहाँ देवी दुर्गा ने महर्षि मार्कंडेय की दर्शनाभिलाषा की पूर्ति की थी.

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नवरात्रों में लगता है मेला

हर वर्ष नवरात्रों में यहाँ पर मेले का आयोजन किया जाता है. यह मेला काफी संख्या में स्थानीय भक्तों के साथ- साथ विश्व स्तर के भक्तों को भी अपनी ओर आकर्षित करता है.

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प्राकृतिक सौन्दर्य से भरा है यह स्थान

मंदिर में जंजैहली नामक प्राकृतिक नज़ारों से भरपूर स्थान से जीप मार्ग द्वारा पहुँचा जा सकता है जोकि इस स्थान से 16 किलोमीटर दूर है.सड़क के दोनों ओर सुन्दर दृश्य हैं. मंदिर परिसर तक भक्तजन सड़क मार्ग से 500 सीढ़ियाँ चढ़कर भी आते हैं. यहाँ से नजदीक का रेलवे स्टेशन जोगिन्दरनगर पड़ता है.

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